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तूफान मेल न्यूज,कुल्लू। नगर परिषद कुल्लू में खिचड़ी पकना शुरू हो गई है। खिचड़ी में पार्षद महिलाओं ने कड़छी में तड़का पकाना शुरू कर दिया है। न कांग्रेस, न भाजपा। दलगत की राजनीति से ऊपर उठकर नगर परिषद कुल्लू पिछले करीब तीन वर्षों से चल रही है। लेकिन अब पार्षद महिलाओं की जुगलबंदी ने सबके होश पाखता कर दिए हैं। नगर परिषद कुल्लू की महिलाओं की यह चाल स्टीक बैठ गई तो नप में विस्फोट होना तय है। सूत्रों के अनुसार महिला बहुल नगर परिषद कुल्लू में राजनीतिक दांवपेंच चल पड़े हैं। यदि महिलाओं की यह एकता कामयाब हुई तो कुल्लू नगर परिषद में विस्फोट हो सकता है। गौर रहे कि 11 पार्षदों बाली नगर परिषद में छह पार्षद महिलाएं हैं। यानिकि महिलाओं की जुगलबंदी कामयाब हुई तो महिलाओं के पास नगर परिषद में पूर्ण बहुमत है। ऐसी स्थिति में नगर परिषद न भाजपा की होगी और न कांग्रेस की और न आजाद की। नगर परिषद होगी तो सिर्फ महिलाओं की। अभी तक नप कुल्लू कांग्रेस-भाजपा व आजाद की जुगलबंदी से चल रही है। लेकिन सूत्र यह भी बताते हैं कि महिलाओं को यह मालूम है कि उनके पास बहुमत है और महिलाओं में ही नप अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनकर नगर परिषद तैयार हो सकती है। ऐसी स्थिति में महिलाओं को नगर परिषद बनाने में पुरुषों की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। लेकिन महिलाएं भी चाहती हैं कि गोपालकृष्ण महंत उनके आदर्श हैं और सबको साथ लेकर चलने बाले हैं। ऐसी स्थिति में महिलाओं की नजर उपाध्यक्ष पद पर है।
यदि सच मैं महिलाएं नगर परिषद कुल्लू में एकजुट हो गई तो नो कांफिडेंस मोशन आ सकता है। ऐसी स्थिति में नगर परिषद के अध्यक्ष गोपालकृष्ण महंत ने स्थिति संभाल ली तो वह नप अध्यक्ष बने रह सकते हैं और उपाध्यक्ष का पद महिलाओं को छोड़ना पड़ सकता है। यदि गोपालकृष्ण महंत स्थिति को नहीं संभाल पाए तो दोनों पद महिलाएं अपने कब्जे में ले सकती हैं। इस स्थिति में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों को अपने पद खोने पड़ सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि महिलाओं की इस राजनीति में एक पुरुष पार्षद भी शामिल है। ऐसी स्थिति में महिलाओं की संख्या सात हो रही है। यदि इस पूरे घटनास्थल में गोपालकृष्ण महंत अपनी सीट बचाने के लिए महिलाओं का साथ देते हैं तो यह संख्या गोपालकृष्ण महंत के साथ आठ तो होगी ही होगी,लेकिन महंत के साथ दो पार्षद और भी जुड़ सकते हैं और संख्या 10 पहुंचेगी। ऐसी स्थिति में नगर परिषद उपाध्यक्ष अकेले पड़ सकते हैं और चुनाव एक तरफा हो सकता है। लिहाजा इस वक्त की स्थिति के हिसाब से नप उपाध्यक्ष का पद खतरे में हैं। क्या भतीजी अमिना को अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ेंगे गोपाल योजना के अनुसार यदि गोपालकृष्ण महंत अपनी भतीजी अमिना राज गौड को अध्यक्ष पद की कुर्सी छोड़ देते हैं तो आसानी से दोनों पदों पर महिलाएं विराजमान होगी। लेकिन अमिना भी अपने चाचा की कुर्सी को छीनना नहीं चाहेगी। ऐसी स्थिति में उपाध्यक्ष के पद की बलि चढ़ सकती है। इसके अलावा एक गहरी चाल और भी चलने की तैयारी है। लेकिन यह कितना संभव है यह भविष्य के गर्व में हैं।
महिलाओं ने महंत को हेकड़ी दिखाना की शुरू
महिला पार्षदों ने अध्यक्ष गोपालकृष्ण महंत को हेकड़ी दिखाना शुरू कर दी है कि हमारा बहुमत होते हुए हमें प्रतिनिधित्व क्यों नहीं। अब महंत पसोपेश में है कि महिलाओं की बात नहीं मानी तो इसका नुकसान उन्हें भी हो सकता है। लिहाजा राजनीतिक चाल शुरू हो चुकी है।
कौन-कौन है महिला पार्षद
आशा महंत, अमिना राज गौड, शालिनी रॉय भारद्वाज,उमा पाल, निर्मला देवी, कुब्जा ठाकुर। बताया जा रहा है कि इन महिलाओं की गुप्त बैठकें शुरू हो चुकी है। वहीं कुब्जा ठाकुर आजकल चंडीगढ़ में हैं। लेकिन दावा किया जा रहा है कि सभी महिलाएं एक जुट हो चुकी है। अब देखना यह है कि महिलाओं के इस चक्रव्यूह को तोड़ने में पुरुष कामयाब हो जाते हैं या फिर महिलाओं के बुने जाल में नगर परिषद महिलाओं के कब्जे में होती है।