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हुनर से तैयार कर रहा है देव मंदिरों के अदभुत मंदिर के प्रतीक
दीपक के हाथों बने देव मंदिर
तूफान मेल न्यूज,कुल्लू
प्राचीनतम लोकतंत्र व्यवस्था बाले मलाणा गांव का नाम देश-दुनिया जानती है। यह गांव जहां धार्मिक इतिहास के लिए विश्व में प्रसिद्ध हैं वहीं मलाणा के माथे पर चरस की कालिख भी लगी है। मलाणा में सिर्फ भांग ही नहीं मिलती यहां के लोगों में हुनर की भी कमी नहीं है। चरस के कलंक को धोने का काम घाटी के जलुग्रां से संबंध रखने वाला दीपक कर रहा है। वह अपने हुनर के माध्यम से मलाणा का नाम बना रहा है। दीपक हिमाचल प्रदेश के हर ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के मंदिरों के प्रतीक लकड़ी और पत्थर से मिलाकर बना रहा है।
अपने इस उत्पाद को मलाणा आर्ट गैलरी के नाम से बेच रहे हैं जिसके चलते दीपक अपने हुनर के माध्यम से मलाणा का नाम चमका रहा है। दीपक अब अपने आप में एक ब्रैंड बन चुके हैं। सरकारी विभाग, प्रशासन हो या फिर कोई निजी बडे़ आयोजन हो, इन मौकों पर आने वाले मुख्यातिथियों के लिए हिमाचल प्रदेश के मंदिरों के इन प्रतीकात्मक मंदिरों को भेंट किया जाता है और ये दीपक के हाथों तैयार होते हैं। दीपक ने पिछले कई वर्षों से भुंतर में अपनी एक आर्ट गैलरी खोल रखी है जिसका नाम मलाणा आर्ट गैलरी रखा है। लिहाजा, कुल्लू दशहरा उत्सव में भी उन्होंने लोकल आर्टिजन मार्केट में स्टाल लेकर मलाणा आर्ट गैलरी के नाम से ही अपने इन उत्पादों को सजाया है जो स्थानीय लोगों के साथ साथ देश और दुनियां के लोगों को पसंद आ रहे हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी और नितिन गड़करी को भी दे चुके हैं मंदिर प्रतीक
दीपक के हाथों तैयार मंदिरों के प्रतीक देश के बडे़ नेताओं से लेकर समाज सेवी और प्रशासनिक अधिकारियों के घरों की शोभा बन चुके हैं। दीपक बताते हैं कि उनके हाथों से बने मंदिरों के प्रतीक देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को भी भेंट किए जा चुके हैं। इसके अलावा कई अनगिनित केंद्रीय नेताओं के साथ प्रदेश और दूसरे राज्यों के नेताओं के अलावा समान्नित हस्तियों को उनके बने मंदिर के प्रतीक दिए जा चुके हैं।
12 सालों से कर रहे हैं कार्य
दीपक का कहना है कि वह इस कार्य को 12 सालों से कर रहे हैं और एक मंदिर के प्रतीक को बनाने में एक दिन से लेकर दस दिन तक का समय लग जाता है। हालांकि उनके बनाए हुए मंदिर प्रतीक की कीमत 1500 रुपए से शुरू होती है जो 50 हजार रुपए तक जाती है। लेकिन बड़ी कीमत के प्रतीक लोगों की डिमांड पर बनाते हैं। दीपक का कहना है कि कुल्लू प्रशासन उनसे हर छोटे बड़े आयोजन में मेहमान का दिए जाने वाले सम्मान के लिए उनसे पिछले 11 सालों से मंदिर प्रतीक खरीद रहे हैं।
इन मंदिरों के प्रतीक तैयार किए हैं
दीपक का कहना है कि हालांकि वह प्रदेश के हर मंदिर के प्रतीक लकड़ी और पत्थर के स्लेट से तैयार करते हैं लेकिन जो प्रचलित हैं उनमें ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के मंदिर शामिल है और खासकर मनाली की हिडिम्बा माता मंदिर, कुल्लू का बिजलीमहादेव, बंजार की चैहणी कोठी, शिमला जिला के भीमाकाली सराहन, मलाणा का जमलू देवता (जम्दग्नि ऋषि), त्रिजुगी नारायण मंदिर शामिल है।
चरस उत्पादन के लिए बदनाम है मलाणा
गौरतलब है कि देवता जम्दग्नि ऋषि की हुकूमत एवं प्राचीन लोकतंत्र बाला मलाणा गांव चरस उत्पादन और कारोबार के लिए दुनियां में बदनाम हुआ है। जिस कारण मलाणा गांव का नाम सुनते ही देश और दुनियां के लोगों के सामने चरस कारोबार वाले क्षेत्र की तस्वीर सामने आती है लेकिन अब मलाणा आर्ट गैलरी में दीपक के हुनर को देखकर लोगों की मलाणा के प्रति यह धारणा बदल सकती है।