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तूफान मेल न्यूज, सैंज। जिला में सबसे ज्यादा तबाही हुई है तो वह सैंज में हुई है। बावजूद यहां से हर दिन राहत कार्य व राहत सामग्री आवंटन में भेदभाव के मामले सामने आ रहे हैं। यहां किरायेदारों को जो यहां वर्षों से रह रहे थे और उनका सबकुछ बह गया है को न तो राशन दिया गया और न ही वर्तनों की किट। जबकि सबसे ज्यादा नुकसान किराएदारों का हुआ है।
मंडी जिला में बाढ़ से प्रभावित हुए रूम किरायेदारों को प्रशासन ने 50-50 हजार रुपये राहत राशि के तौर पर दिए है लेकिन सैंज में वर्षों से किराए के कमरों में रह रहे प्रवासी मजदूर, प्रवासी कारोबारी तथा अन्य किराएदार जो वर्षों से किराए के मकान में रह रहे हैं, उन्हें सर्फ 5-5 हजार रुपए देकर चलता कर दिया है। जो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। उक्त किराएदारों को नतो प्रशासन की ओर से उचित राहत राशि दी गई है और न हो स्थाई तौर पर किराए के कमरो में रह रहे किराएदारों को राशन किट दी है और न ही बषोॅ से किराए के कमरों में रह रहे किरायेदारों को किचन किट प्रशासन द्वारा वितरित की गई है । सैंज में प्रशासन ने किराएदारो को नाम मात्र राहत राशि देकर राम भरोसे छोड़ दिया है।
राहत राशि से किराएदार एक सिलेंडर व चुल्हा तक भी नही खरीद पाए हैं अन्य समान खरीना तो दूर की वात है। किराएदारों का जहां लाखों का समान वाढ़ की भेंट चढ़ा है वही वदले में प्रशासन ने उन्हें 5-5 हजार रुपये राहत राशि दी है जो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। हालांकि प्रशासन ने सव कुछ खोने वाले किराएदारों को 10 दिन लंगर लगाकर खाना खिलाया लेकिन अव किराए के कमरो में रहने वाले किराएदारों को रूम का समान खरीदने के लिए दर दर ठोकरे खानी पड़ रही है। सैंज घाटी के बुद्धिजीवी वर्ग ने जिलाधीश आशुतोष गर्ग से मांग की है कि इन किराएदारों को भी राशन व वर्तनों की किट प्रदान करवाई जाए।