बड़ा खुलासा : एनएचपीसी ने रेड अलर्ट में पार्वती के डेम से छोड़ा पानी तब मची सैंज में तबाही देखें वीडियो,,,,,,,,,,,,,,,,


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बोली सैंज की जनता –खौफ में लोग डेंजर जॉन घोषित करने की मांग

ग्राउंड जीरो से तूफान मेल न्यूज की रिपोर्ट।

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बाढ़ प्रभावित क्षेत्र सैंज में त्राहिमाम मचा हुआ है । बाढ़ प्रभावित कई लोगों के पास राहत सामग्री नहीं पहुंच पा रही है। वही लोगों ने रात के अंधेरे में कई रातें गुजारी हैं ।इसके अलावा आज सैंज क्षेत्र का दौरा करने पर कई खुलासे हुए हैंएम आक्रोशित लोगों ने एनएचपीसी की पार्वती परियोजना पर आरोप लगाए हैं कि पार्वती परियोजना ने अपने डैम खोले और तभी यह भारी तबाही मची है । प्रभावितों ने आरोप लगाया है कि परियोजना के अधिकारी कार्यालयों में बैठे थे और उन्होंने रेड अलर्ट में अपने कर्मचारियों को डैम के गेट खोलने के निर्देश दिए। जिसके चलते भारी बारिश के बीच सैंज में तबाही मची और 40 मकान 30 दुकान में बह गई । लोगों का यह भी आरोप है कि डैम का पानी छोड़ने से पहले किसी भी तरह की सूचना प्रसारित नहीं की गई थी और ना ही किसी प्रकार का वाहनों के माध्यम से लोगों को जानकारी दी गई थी। पीड़ितों का यह भी आरोप लगाया है कि एनएचपीसी ने पिन पार्वती के किनारे जगह जगह पर डंपिंग की थी। जैसे ही पानी छोड़ा और सारा मलबा पानी में नीचे बहता गया । भारी बरसात के कारण पहले से ही नदी उफान पर थी। लेकिन जब पानी छोड़ा गया। तो नदी में जल प्रलय आ गई। जिस कारण इतना नुकसान हुआ है। यह सिर्फ 40 मकान 30 दुकाने ही नहीं बही है। बाकी अन्य जितनी भी दुकानें हैं जितने भी मकान हैं सारे क्षतिग्रस्त हुए हैं। लोगों ने यह भी आरोप लगाया है कि एनएचपीसी का कोई भी अधिकारी उनसे मिलने नहीं आया। लोगों ने कहा कि जब उपायुक्त कुल्लू ने रेड अलर्ट घोषित किया था तो उसी दौरान डैम का पानी धीरे-धीरे छोड़ना चाहिए था और रेड अलर्ट से पहले सिल्ट भी निकालनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और भारी बरसात में जब उनके डैम भर गए। तो उन्होंने डैम का सारा पानी एक बार में ही छोड़ दिया। मीडिया को बताने के बाद वहां के प्रभावित लोगों ने लोक निर्माण मंत्री जो वहां पर शुक्रवार को प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने पहुंचे। तो उन्होंने भी मंत्री के समक्ष अपना खूब जमकर गुबार निकाला और एनएचपीसी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग उठाई। उधर लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि कई स्थानों पर सैंज में ही राहत सामग्री नहीं पहुंच पाई है । लोग अपने स्तर पर ही राहत और बचाव कार्य को मद्देनजर रखते हुए दो वक्त की रोजी-रोटी के जुगाड़ करने के लिए सामुदायिक भवन में लंगर लगाया है। इसके अलावा वहां पर दाएं तरफ के प्रभावितों ने आरोप लगाया कि राहत सामग्री बाएं तरफ ही मेला ग्राउंड में पहुंचती रही और वहीं पर वितरित होती रही। जबकि नुकसान दाएं तरफ हुआ है। वही एसडीएम बंजार हेम चंद वर्मा ने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि राहत सामग्री में किसी भी तरह की कोई कोताही नहीं बरती जा रही है और दोनों क्षेत्रों को बराबर राहत सामग्री दी जा रही है। फिर भी कोई भी और अनियमितता बरती जा रही होगी। उसका निरीक्षण करने में स्वयं मौके पर जाकर जायजा लिया जाएगा।

सैंज सड़क बहाल दूरसंचार सेवा अभी भी ठप

लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह के हस्तक्षेप के बाद 2 दिनों में ही ओट सैंज मार्ग बहाल कर दिया गया है। हालांकि सड़क मार्ग की स्थिति बेहद खराब है ।फिर भी सैंज तक मार्ग बहाल करके राहत सामग्री पहुंचाई जाएगी। हालांकि जगह-जगह पर सड़क मार्ग को भारी नुकसान हुआ है। कई स्थानों पर सड़क मार्ग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुआ है। वही आज शुक्रवार को सैंज घाटी के लोगों ने सड़क मार्ग बहाल करने के लिए लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह का आभार प्रकट किया है और वहां पर सहायता की गुहार लगाई है। लोगों ने मांग की है कि तुरंत अन्य बचे हुए मकान हैं उनकी सुरक्षा के लिए इंतजाम किए जाएं। सड़क मार्ग तो बहाल कर दिया गया है। लेकिन दूरसंचार व्यवस्था अभी भी पूरी तरह से ठप पड़ी हुई है । जिस कारण वहां फंसे हुए लोगों का संपर्क अपने परिजनों से नहीं हो पा रहा है। कई लोग सैंज अस्पताल में इलाज करने आए थे। वहीं फंस कर रह गए हैं। जिनका ना तो अपने घर संपर्क हो रहा है और ना ही घर वालों का उनके साथ संपर्क हो रहा है।

डेंजर जोन में घोषित करें सैंज क्षेत्र को

वहां के स्थानीय लोगों में इतना खौफ है कि वे वहां पर अब नहीं रहना चाहते हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जब बाढ़ आई तो उन्होंने अपने परिवार बच्चों को आनन-फानन में उठाकर भागने में कामयाबी हासिल की है। तभी उनकी जान बच सकी है। वहां पर नहीं रहना चाहते हैं। उनको डर है कि आगे आने वाले समय में भी ऐसी स्थिति में उन्हें इस तरह की परिस्थिति का सामना करना पड़ेगा। स्थानीय लोगों ने बताया कि 5 दिनों से दिन-रात सो नहीं पाए हैं। स्थानीय दुकानदारों ने अपने परिवारों को रिश्तेदारों के पास पहुंचा दिया है। इसलिए स्थानीय लोगों ने मांग की है कि सैंज बाजार को डेंजर जोन घोषित करें और उन्हें अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया जाए । जहां उनका रहने की व्यवस्था और व्यापार की व्यवस्था हो सके ताकि वह अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें।

सैंज में धरी की धरी रह गई आपदा प्रबंधन की मॉक ड्रिल

प्रभावित क्षेत्र के स्थानीय लोगों ने सीधे तौर पर आरोप लगाया है कि सैंज में आपदा प्रबंधन को लेकर मॉक ड्रिल की तैयारियों के बाद भी व्यवस्था पूरी तरह से धरी की धरी रह गई है और इसकी पोल जब बारिश और बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में एकाएक तबाही मची तो खुलकर सामने आई है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि मॉक ड्रिल के ऊपर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी एक इंच का भी काम बाढ़ प्रभावित और पीड़ित लोगों के लिए काम नहीं आया है। यह मात्र कागजों में ही खानापूर्ति करने तक मॉक ड्रिल का ड्रामा सारा पूरा होता दिखा है। धरातल में लोगों को कोई भी सुविधा नहीं मिली है। जिसे लोग काफी आक्रोशित नजर आए हैं।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में नहीं पहुंचे सिलेंडर लकड़ियों पर खाना बनाने को मजबूर नजर आए लोग

प्रभावित क्षेत्र में गैस की सप्लाई न पहुंचने की सूरत में बाढ़ प्रभावित लोग लकड़ियों पर खाना बनाकर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करते लंगर में विवश नजर आए हैं। वहीं प्रशासन के ऊपर स्थानीय लोगों ने आरोप जड़ा है कि अभी तक वहां पर सिलेंडर नहीं पहुंचाई गई है । जबकि प्रशासन का तर्क है कि प्रभावित क्षेत्र के लिए गैस की सप्लाई भेज दी गई है ।लेकिन धरातल पर कुछ और ही तस्वीर सहज में पहुंचने पर नजर आई है। जो कि बाढ़ प्रभावितों ने अपनी उपस्थिति बनाकर के प्रशासन और सरकार की पोल खोलकर रख दी है।

23 मकान मालिकों और 52 किरायेदारों को कुल ₹25 लाख 60 हजार की फौरी राहत

23 मकान मालिकों और 52 किरायेदारों को कुल ₹25 लाख 60 हजार की फौरी राहत राशि सरकार ने प्रशासन के माध्यम से मुहैया करवा दी गई है और इस दिशा में आगे भी कार्य जारी है। तहसीलदार सैंज हीरा चंदबन जानकारी देते हैं बताया कि जैसे-जैसे प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया जा रहा है और जो प्रभावित लोग हैं । उनकी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। वैसे-वैसे प्रशासन और सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत बाढ़ प्रभावित लोगों को हर संभव मदद करवाई जा रही है।

प्रभावित लोगों को एक कंबल और एक शीट
बाढ़ प्रभावित लोगों का आरोप है कि प्रशासन की ओर से प्रभावित लोगों को एक कंबल और एक शीट रहने के लिए दी जा रही है। जिससे परिवार के चार से पांच सदस्य हैं । वह एक कंबल और सीट के सहारे खुले आसमान के नीचे त्रिपाल लगाकर कैसा अपना सिर छुपा सकते हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जो लोग प्रभावित हुए हैं। वह कैसे अपना जीवन बसर कर रहे होंगे। इस बात का अंदाजा यहीं से लगाया जा सकता है।

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