ऋशव शर्मा , आनी
हिमाचल के आनी विधानसभा क्षेत्र से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। यहां के निरमण्ड उपमण्डल में स्थित मिडिल स्कूल ठारला शिक्षा विभाग की लापरवाही का एक ऐसा जीवंत उदाहरण बन गया है, जहां 2007 में मिडिल स्कूल का दर्जा तो दे दिया गया, लेकिन 18 वर्षों में टीजीटी शिक्षक देना सरकार भूल गई।

ठारला स्कूल इस समय केवल एक शास्त्री और एक पीटीआई के भरोसे चल रहा है। हालात इतने बदतर हैं कि पहले से ही शिक्षक विहीन स्कूल से अब कला अध्यापक का भी तबादला कर दिया गया। शिक्षा का स्तर ऐसा गिरा है कि कभी 93 छात्रों से भरा यह स्कूल अब केवल 25 बच्चों तक सिमट गया है।

8 गांवों का एकमात्र सहारा, अब बंद होने की कगार पर :
चायल पंचायत के ठारला, जरोट, सगोफ़ा, बसवारी, जोह, ढमार, कलोन्ट, कलोटी और बघीर जैसे आठ गांवों के बच्चों के लिए यही स्कूल शिक्षा का एकमात्र जरिया है। लेकिन अब या तो बच्चों को मजबूरी में 6 किलोमीटर दूर जाओं के सीनियर सेकेंडरी स्कूल जाना पड़ता है या फिर पढ़ाई छोड़नी पड़ती है। गांववालों का कहना है कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार न रोज किराया दे सकते हैं, न बच्चों को दूर भेज सकते हैं। ऐसे में कुछ बच्चे रोज 12 किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर हैं

सरकारी वादों की पोल खोलता जमीनी सच
2016 में शास्त्री के सेवानिवृत्त होने के बाद 2022 तक यह पद खाली रहा। अब वही पद भरा गया है, पर बाकी रिक्तियां जस की तस हैं। अप्रैल 2023 में टीजीटी (आर्ट्स) का तबादला और हाल ही में कला शिक्षक को भी हटा दिया गया। सामाजिक सुधार और आरटीआई कार्यकर्ता संस्था सचेत संस्था का कहना है कि अगर हालात यूं ही रहे तो बहुत जल्द ठारला स्कूल पर ताले लगना तय है। सवाल ये है कि क्या ग्रामीण बच्चों की शिक्षा की चिंता सरकार को सिर्फ घोषणाओं तक ही सीमित है? क्या आने वाले समय में ये बच्चे सिर्फ आंकड़ों का हिस्सा बनकर रह जाएंगे?
प्रशासन को कई बार जगाया, पर नींद नहीं टूटी
एसएमसी अध्यक्ष नन्त राम का कहना है कि विभाग को कई बार पत्र लिखे गए लेकिन सुनवाई नहीं हुई। वहीं सीसे स्कूल जाओं के प्रिंसिपल राजू कश्यप ने भी माना कि टीजीटी (साइंस), टीजीटी (आर्ट्स) और कला शिक्षक के पद खाली हैं और उच्चाधिकारियों को कई बार इसकी जानकारी दी जा चुकी है।