तूफान मेल न्यूज , कुल्लू।
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उत्तरी भारत के नौ राज्यों को रोशन करने वाली राष्ट्र की महत्वाकांक्षी पार्वती जल विद्युत परियोजना चरण दो की तीन यूनिटों का वाणिज्यिक प्रचालन सफलतापूर्वक पूरा कर देश की नवरत्न कंपनी एनएचपीसी ने मंगलवार को पार्वती परियोजना चरणों -2 की तीन यूनिटों को देश के लिए समर्पित कर उत्पादन शुरू कर दिया है।

परियोजना के ईडी निर्मल सिंह ने इसकी विधिवत घोषणा कर दी। बता दें कि परियोजना की आधारशिला तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 12 दिसंबर 1999 को रखी गई थी। परियोजना का निर्माण सितंबर 2002 में शुरू हुआ था। निर्माण के दौरान परियोजना को कई चुनौतियों जैसे बादल फटना, अचानक बाढ़, बैक-स्लोप विफलता, भारी डिस्चार्ज के साथ सिल्ट और शियर जोन आदि का सामना करना पड़ा है।

32 किलोमीटर की हेड रेस टनल से पिन पार्वती को सिउंड पहुंचाया गया है। परियोजना ने इन चुनौतियों पर सफलतापूर्वक काबू पाया और जीवा नाले से प्राप्त पानी का उपयोग आंशिक लोड पर उत्पादन के लिए किया, जिसकी शुरुआत सितंबर 2018 में हुई। कुल 1130 एमयू बिजली का इन्फर्म पावर उत्पादन किया गया और लगभग 182 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ।

परियोजना ने इन चुनौतियों का सामना कर मंगलवार को 12 बजे चार यूनिटों में से तीन यूनिटों का वाणिज्यिक प्रचालन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। चौथी यूनिट के जल्द ही चालू होने की उम्मीद है। परियोजना की अनुमानित पूर्णता लागत 13,045 करोड़ रुपए है। परियोजना की डिज़ाइन ऊर्जा 3074 मिलियन यूनिट (एमयू) है। इस परियोजना के चालू होने से 520 मेगावाट क्षमता के पार्बती-।।। पावर स्टेशन की उत्पादन क्षमता भी 1262 मिलियन यूनिट प्रति वर्ष बढ़ जाएगी।
विस्तृत समाचार …..
एनएचपीसी लिमिटेड भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के तत्वावधान में एक नवरत्न सार्वजनिक उपक्रम है। यह भारत का सबसे बड़ा जलविद्युत विकास संगठन है, जिसके पास जलविद्युत परियोजनाओं की अवधारणा से लेकर कमीशनिग तक सभी गतिविधियों को करने की क्षमता है। एनएचपीसी ने सौर एवं पवन ऊर्जा आदि के विकास क्षेत्र में भी विविध प्रसार किया है। कंपनी की कुल संस्थापित क्षमता 7883 मेगावाट (संयुक्त उद्यम में 1682 मेगावाट सहित) है, जिसमें 23 जलविद्युत पावर स्टेशनों से 7571.20 मेगावाट, छह सौर ऊर्जा परियोजनाओं से 261.70 मेगावाट और एक पवन ऊर्जा परियोजना से 50 मेगावाट शामिल है। इसके अतिरिक्त, एनएचपीसी के पास 10154 मेगावाट निर्माणाधीन परियोजनाओं का पोर्टफोलियो है, जिसमें 8714 मेगावाट की नौ जलविद्युत परियोजनाएं (संयुक्त उद्यम में पांच 3134 मेगावाट सहित) और 1440 मेगावाट की छह सौर परियोजनाएं शामिल हैं।

पार्बती -II जलविद्युत परियोजना, जिसकी कुल संस्थापित क्षमता 800 मेगावाट (4 x 200 मेगावाट) है, यह एक ‘रन ऑफ द रिवर’ परियोजना है, जिसमें हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में पार्बती नदी पर छोटे पॉण्डेज का निर्माण किया गया है। मणिकरण घाटी में पुलगा गांव के निकट 83.7 मीटर ऊंचा कंक्रीट ग्रेविटी बाँध बनाकर पार्बती नदी की धारा को मोड़कर तथा पानी को 31.56 किलोमीटर लंबी हेड रेस सुरंग के माध्यम से सैंज घाटी तक ले जाया जा रहा है, जहां सिउंड गांव में पावर हाउस का निर्माण किया गया है। पुलगा और सिउंड के बीच 862.50 मीटर की कुल ऊंचाई का उपयोग 800 मेगावाट विद्युत उत्पादन के लिए किया जा रहा है। हेड रेस सुरंग के साथ आने वाले, पांच नालों के पानी के मिलने से पार्बती के जल प्रवाह में और अधिक वृद्धि हुई है। पावर हाउस में 200 मेगावाट की 4 पेल्टन टर्बाइनें हैं।
परियोजना की 31.56 किलोमीटर लंबी एचआरटी भारत की सबसे लंबी जलविद्युत सुरंग है। दो इन्कलाइन्ड प्रेशर शाफ्ट, जो प्रत्येक 1545.5 मीटर लंबा है, टीबीएम से खोदी गई दुनिया की सबसे लंबी इन्कलाइन्ड प्रेशर शाफ्ट सुरंगें हैं।

हिमाचल प्रदेश राज्य को इस परियोजना से 12% नि:शुल्क ऊर्जा मिलेगी और 1% अतिरिक्त नि:शुल्क ऊर्जा का उपयोग स्थानीय क्षेत्र विकास निधि के लिए किया जाएगा।
परियोजना की आधारशिला तत्कालीन माननीय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 12 दिसंबर 1999 को रखी गई थी। आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने 11.09.2002 को 3919.59 करोड़ रुपये की परियोजना लागत को मंजूरी दी। परियोजना का निर्माण सितंबर 2002 में शुरू हुआ था। निर्माण के दौरान परियोजना को कई चुनौतियों जैसे बादल फटना, अचानक बाढ़, बैक-स्लोप विफलता, भारी डिस्चार्ज के साथ सिल्ट और शियर जोन आदि का सामना करना पड़ा है। परियोजना ने इन चुनौतियों पर काबू पा लिया है और 01.04.2025 को 00:00 बजे चार यूनिटों में से तीन यूनिटों का वाणिज्यिक प्रचालन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। चौथी यूनिट के जल्द ही चालू होने की उम्मीद है। परियोजना की अनुमानित पूर्णता लागत 13,045 करोड़ रुपए है। परियोजना की डिज़ाइन ऊर्जा 3074 मिलियन यूनिट (एमयू) है। इस परियोजना के चालू होने से 520 मेगावाट क्षमता के पार्बती-III पावर स्टेशन की उत्पादन क्षमता भी 1262 मिलियन यूनिट प्रति वर्ष बढ़ जाएगी।
परियोजना क्षेत्र में, एनएचपीसी ने 15 पुलों तथा लगभग 88 किलोमीटर सड़क-मार्ग का निर्माण किया है तथा स्थानीय क्षेत्र विकास के लिए 112 करोड़ रुपए वितरित किए हैं। एनएचपीसी ने सीएसआर के अंतर्गत कुल 27.83 करोड़ रुपए का व्यय किया है और इस योजना के अंतर्गत स्वास्थ्य, सामाजिक एवं सामुदायिक कल्याण के क्षेत्र में विभिन्न गतिविधियां पूर्ण की हैं। परियोजना प्रभावित 20 लोगों को स्थायी रोजगार उपलब्ध कराया है। इसके अतिरिक्त, 349 व्यक्तियों को अप्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध कराया है, जिनमें से 98% स्थानीय क्षेत्र से हैं। इसके अतिरिक्त, परियोजना के निर्माण के दौरान 1361 व्यक्तियों को परियोजना में रोजगार मिला, जिनमें से 1171 हिमाचल केस्थानीय निवासीथे।370 परियोजना प्रभावित परिवारों (पीएएफ) को आजीविका सहायता प्रदान की जा रही है। परियोजना प्रभावित परिवारों से 58 वाहन किराए पर लिए गए हैं। स्थानीय निवासियों के लाभ के लिए सैंज में केन्द्रीय विद्यालय चलाया जा रहा है, जिसके संचालन पर प्रति वर्ष 04 करोड़ रूपए से अधिक व्यय हो रहा है। केन्द्रीय विद्यालय के कुल 422 छात्रों में से 411 छात्र स्थानीय क्षेत्र से हैं। कुल्लू में क्षेत्रीय अस्पताल भवन के विस्तार संबंधी निर्माण के लिए 4 करोड़ रुपए की धनराशि प्रदान की गई है।
एनएचपीसी एक हरित ऊर्जा कंपनी है जो केवल नवीकरणीय संसाधनों से विद्युत उत्पादन करती है। प्रतिष्ठित पार्बती-II परियोजना का कमीशन होना एनएचपीसी के लिए स्वर्ण जयंती वर्ष में एक गौरवपूर्ण उपलब्धि है।