पत्रकारिता में साक्षात्कार विश्वसनियता का प्रमाणिक स्त्रोत होता है : किशन श्रीमान


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कहा, साक्षात्कार का पाठ स्पष्ट और तार्किक होना आवश्यक


तूफान मेल न्यूज ,कुल्लू

पत्रकारिता में साक्षात्कार एक विश्वसनियता का प्रमाणिक स्त्रोत होता है, जिसके माध्यम से महत्त्वपूर्ण जानकारियां हासिल होती हैं। यह बात हिमतरु के संपादक किशन श्रीमान ने राजकीय महाविद्यालय पनारसा में फिल्ड स्टडी एवं साक्षात्कार पर आधारित एक दिवसीय कार्याशाला के दौरान कही। कार्यशाला के दौरान उन्होंने छात्रों को साक्षात्कार के प्रकार, तकनीक, टूल्ज़ तथा पाठ लेखन की महत्तवपर्ण जानकारियां साझा की।
राजकीय महाविद्यालय पनारसा तथा हिमतरु प्रकाशन समिति के मध्य हुए फिल्ड स्टडी तथा साक्षात्कार को हुए एमओयू के तहत आज महाविद्यालय में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया,

जिसमें हिमतरु के संपादक किशन श्रीमान बतौर मुख्य वक्ता थे। इस दौरान उन्होंने छात्रों को साक्षात्कार को लेकर विभिन्न जानकारियां दीं। किशन श्रीमान ने बताया कि पत्रकारिता ही नहीं बल्कि हर विधाओं में साक्षात्कार की तकनीक में कला, शब्दावली, तैयारी और सुनना महत्तवपर्ण पहलू होते हैं तथा साक्षात्कार की भाषा सरल होनी आवश्यक है। उन्होंने बताया कि साक्षात्कार लेखन में दोहराव, आपत्तिजनक/असंवैधानिक शब्दों का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए तथा पाठ को स्पष्ट और तार्किक बनाना आवश्यक है। बताया कि साक्षात्कार में महत्तवपूर्ण बातों को प्रमुखता से उठाना आवश्यक होता है, ताकि उनकी विश्वसनीयता कायम रहे। छात्रों को संबोधित करते हुए किशन श्रीमान ने बताया कि भले ही इस वर्तमान डिजिटल युग में साक्षात्काकर लेने के अनेक टूल्ज हैं, कैमरा तथा रिकॉर्डिंग के अनेक माध्यम हैं, लेकिन पेन-पेपर तकनीक आज की उतनी ही सार्थक है, जितनी पूर्व में थी।

आधुनिक तकनीकों के साथ पेन-पेपर तकनीक का सदुपयोग करना आवश्यक होता है, जिससे साक्षात्कार के पाठ लिखने में आसानी हो जाती है।
किशन श्रीमान में छात्रों को बताया कि साक्षात्कार के दौरान संयम, शिष्ट तथा जिस भी शख्सियत का साक्षात्कार लिया जा रहा हो, उसके प्रति सम्मान की भावना होना भी अति-आवश्यक है। कहा कि साक्षात्कार का पाठ लिखते समय भी ‘गिव रिस्पक्ट, टेक रिस्पक्ट’ वाली धारणा का अनुसरण करना आवश्यक होता है ताकि साक्षात्कार लेने वाले और देने वाले में समरस्ता बनी रहे।

कार्यशाला में बिंदु सूर्यवंशी ने उपस्थित सभी समस्तजनों को स्वागत करते हुए भविष्य में होने वाली कार्यशालाओं की जानकारी दी।
प्राचार्या डॉ. उरसेम ने बताया कि महाविद्यालय तथा हिमतरु के मध्य हुए एमओयू के तहत छात्रों के समग्र विकास को लेकर अनेक कार्यशाओं का आयोजन किया जा रहा है, आज की कार्यशाला भी उसी का हिस्सा था।


कार्यशाला में महाविद्यालय के प्राध्यापकगण, एचपीयू में शोधार्थी महेन्द्र, रंगकर्म नरेन्द्र तथा महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं में रवि, साक्षी, मधु, आशुतोष, रेखा, रिया, कुसुम, नैना, वैदिका, विपिन, गोपाल, देव कृष्ण, वैशाली, रितिका, अनुज, आशु, जया, मुस्कान, मनोरमा, प्रिया, आर्यव्रत तथा रीना सहित दर्जनों छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।

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