ढालपुर में आपस में मेल-मिलाप करते नजर आए देवी-देवता
दशहरा के अंतिम दिन रामरास में सराबोर हुई भगवान रघुनाथ की नगरी
-लंका दहन के बाद रघुनाथ मंदिर में हुआ भव्य आयोजन
तूफान मेल न्यूज ,कुल्लू । देवमहाकुंभ अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के अंतिम दिन जिला भर से आए देवी-देवता एक बार फिर मिलने का वादा कर अपने-अपने देवालय वापस लौट गए। भगवान रघुनाथ के अपने स्थाई देवालय में वापस लौटने पर रघुनाथ नगरी कुल्लू रामरास में सराबोर हुई। रघुनाथ मंदिर में राम रास का भव्य आयोजन हुआ जिसमें हजारों की संख्या में देशी-विदेशी राम भक्तों ने भाग लिया। परंपरा अनुसार लंका दहन के बाद विजय की खुशी में कुल्लू में रामरास बनाया जाता है जिसमें रघुनाथ के दरबार में प्रसिद्ध देवी हडिंबा, त्रिपुरा सुंदरी व देवता पांचवीर कोट कंढी की घंटियां व अठारह करडू देवी-देवताओं का धड़च्छ यहां अपनी हाजिरी भरते है। इसके अलावा पंचवीर कोट कंढी का बाजा भी यहां राम रास में भी मौजूद रहता है। अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के अंतिम दिन बाजे की धुन पर रामरास का आयोजन किया गया इस दौरान देव पूजा के बाद रामरास में रघुनाथ के भक्त जमकर थिरके।

सदियों से चली आ रही इस परंपरा में हर साल दशहरा समापन के बाद यहां सुल्तानपुर स्थित भगवान रघुनाथ के मंदिर में रामरास का आयोजन किया जाता है। गौर रहे कि रघुनाथ मंदिर में अयोध्या की तर्ज पर साल भर में रघुनाथ जी के सभी आयोजन आयोजित होते है। 1651 ई. में जब एक विचित्र घटना के तहत अयोध्या से रघुनाथ की प्रतिमा लाई गई थी तो उसी दिन से रघुनाथ की पुरात्तन तौर तरीकों से ही पूजा अर्चना होती है। लिहाजा, सात दिनों तक चले देवमहाकुंभ अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव का शुक्रवार को देवी-देवताओं के आपसी मिलन के साथ समापन हो गया।

विश्व के सबसे बड़े देव महाकुंभ एवं अनूठी परंपराओं का संगम कुल्लू दशहरा पर्व में रघुनाथ की रथ यात्रा के बाद विधिवत रूप से सोमवार को लंका दहन के नजारे के हजारों लोग गवाही बने। सात दिनों तक चलने वाले इस महाकुंभ में सैंकड़ों देवी-देवताओं के साथ रघुनाथ जी ने लंका पर चढ़ाई कर रावण परिवार के साथ बुराई का भी अंत किया।

रघुनाथ के कारदार ने बताया कि लंका दहन के बाद रावण का खात्मा करने की खुशी में रामरास विधिवत रूप से मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि रघुनाथ की वर्ष भर में हर दिन चार पहर पूजा अर्चना होती है तथा राम से संबधित सभी आयोजन मनाए जाते हैं। बहरहाल, सात दिवस तक ढालपुर में आपस में मेल मिलाप करते नजर आते देवी-देवता एक वर्ष के लिए फिर से अलविदा कह गए।

