दशहरा उत्सव में भगवान नृसिंह की भव्य जलेब का आगाज
महाकुंभ में भगवान नृसिंह की जलेब में पहले दिन महाराजा कोठी के छह देवता हुए शामिल
पालकी में सवार होकर निकले राजा महेश्वर सिंह
सदियों से चली आ रही राजा की जलेब की प्रथा, राजा की चनणी से शुरू हुई जलेब
नीना गौतम ,तूफान मेल न्यूज,कुल्लू
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देवमहाकुंभ अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के दूसरे दिन देवी-देवताओं की पुरातन संस्कृति का निर्वहन करते हुए बुधवार को भगवान नृसिंह की जलेब का आगाज हुआ। जलेब में जहां हर साल पांच दिनों तक अलग-अलग घाटियों के देवी-देवता भाग लेते हैं। इसी कड़ी में पहले दिन महाराजा कोठी के छह देवी-देवताओ ने जलेब में भाग लिया।
ढालपुर स्थित राजा की चणनी से जलेब की शुरूआत हुई और देवी-देवताओं के साथ भगवान रघुनाथ जी के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह पालकी में सवार होकर निकले।

जलेब में शामिल खासकर युवा देवलू वाद्ययंत्रों की ध्वनि के साथ नाचते गाते हुए साथ-साथ चले।गौर रहे कि इस जलेब को राजा की जलेब भी कहा जाता है क्योंकि इस जलेब में कुल्लू का राजा परंपरा के अनुसार पालकी में सज-धज कर यात्रा करता है। लिहाजा, उत्सव के दूसरे दिन भगवान रघुनाथ जी के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह इस विशेष प्रकार की पालकी में बैठकर परिक्रमा पर निकल पड़े हैं और यह जलेब पांच दिनों तक निकलेगी। जलेब में जहां सबसे आगे नृसिंह भगवान की घोड़ी सज-धज कर चलती है वहीं, राजा की पालकी के साथ दोनों तरफ देवता के रथ चलते हैं।

यह जलेब भगवान नृसिंह की मानी जाती है और राजा नृसिंह का प्रतिनिधि होने के नाते नृसिंह के रूप में इस पालकी में भगवान रघुनाथ जी के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह हर साल विराजमान होते हैं। राजा की चनणी से लेकर रथ मैदान होते हुए यह जलेब ढाेल-नगाड़ों की थाप पर परिक्रमा पर निकले लोग नाचते गाते हुए वापिस राजा की चनणी पहुंचते हैं।
