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तुफान मेल न्यूज,कुल्लू।
राजकीय महाविद्यालय पनारसा के कॉलेज कॉमिनिटी डेव्लेमेंट एण्डा एंगेज़मेंट सेल ने हिमतरु प्रकाशन समिति के संयुक्त तत्वावधान में ‘स्मृतियों में कुल्लू दशहरा’ कार्यक्रम के अंतर्गत छात्रों एवं शोधार्थियों द्वारा फील्ड स्टडी कुल्लू के वरिष्ठजनों के साथ साक्षात्कार कर दशहरा उत्सव से जुड़ी स्मृतियों को लेकर जानकारी एकत्र की।
राजकीय महाविद्यालय की लाइब्रेरी सोसाइटी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में वरिष्ठ लेखक एवं समीक्षक डॉ. निरंजन देव शर्मा, वरिष्ठ लेखक एवं संस्कृतिकर्मी डॉ. सूरत ठाकुर, वरिष्ठ कवि अजेय, वरिष्ठ लेखिका ईशिता राजन तथा कुल्लू महाविद्यालय से डॉ. राकेश राणा तथा प्रो. सोम नेगी से शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने साक्षात्कार किया। राजकीय महाविद्यालय की पुस्तकाध्यक्ष एवं इस कार्यक्रम की संयोजक बिंदू सूर्यवंशी ने बताया कि लाईब्रेरी सोसाइटी की तरफ से सीनियर सिटीजन के साथ छात्रों के साक्षात्कार का यह अंतिम चरण था, जिसका उद्देश्य कुल्लू दशहरा से जुड़ी स्मृतियों को प्रकाश में लाना है ताकि पाठकों को रोचक जानकारियां मिल सकें।
वहीं, कॉलेज की प्राचार्या डॉ. उरसेम लता ने बताया कि राजकीय महाविद्यालय पनारसा ने हिमतरु प्रकाशन समिति के साथ एक एमओयू के तहत रिसर्च कॉम्पोनेंट या छात्रों के छोटे-छोटे रिसर्च पेपरर्ज़ पर कार्य किया जा रहा है। आज का कार्यक्रम भी उसी का हिस्सा था। उन्होंने बताया कि ‘स्मृतियों में कुल्लू दशहरा’ प्रोग्राम के तहत छात्रों ने वरिष्ठ लोगों के साक्षात्कार लिये, जिसमें उत्सव से जुड़ी अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां लोगों तक पहुंचेगी। उरसेम लता ने कहा कि राजकीय महाविद्यालय पनारसा एवं अन्य महाविद्यालय के छात्रों एवं हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के शोधार्थियों द्वारा एकत्र जानकारियों एवं शोध-पत्रों का एक महत्तवपूर्ण संग्रह हिमतरु द्वारा शीघ्र प्रकाशित किया जाएगा, जो शोधार्थियों, पाठकों एवं आमजन के लिए रूचिकर साबित होगा।
इस दौरान हिमतरु के सचिव किशन श्रीमान ने बताया राजकीय महाविद्यालय सहित विभिन्न महाविद्यालय एवं हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालयों के छात्रों/शोधार्थियों द्वारा कुल्लू के दशहरा उत्सव से जुड़े विभिन्न पहलुओं एवं वरिष्ठजनों की स्मृतियों को लेकर एक दस्तावेज़ तैयार किया जाएगा ताकि यह उत्सव हमेशा लोगों की स्मृतियां में रहे। उन्होंने कहा कि यह दस्तावेज़ जहां पाठकों के लिए जहां रूचिकर होगा, वहीं शोधार्थियों के लिए भी संदर्भ-ग्रंथ के रूप में महत्तवपूर्ण साबित होगा।