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तूफान मेल न्यूज,कुल्लू। लाहुल-स्पीति विधानसभा उप चुनाव में दोनों बड़े दलों ने अपने प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतार दिए हैं। भाजपा ने पहले ही कांग्रेस के बागी रवि ठाकुर को टिकट दिया और अब कांग्रेस ने अनुराधा राणा को टिकट देकर चुनावी रणभेरी फूंक दी है। लेकिन दोनों नेताओं की राहें अभी आसान नहीं लग रही है। पूर्व मंत्री एवं भाजपा के बरिष्ठ नेता एवं लाहुल से नेता प्रतिपक्ष रहे रामलाल मार्कंडेय को साइड लाइन कर हल्के में नहीं लिया जा सकता है। मार्कंडेय का ऊंट किस करवट बैठता है या फि खड़ा ही रहता है तो इस पर सबकी नीगाहें टिक गई है। आज थोड़ी देर बाद मार्कंडेय लाहुल पहुंचने बाले हैं और सिस्सू से लेकर उदयपुर तक हर मुख्य स्टेशनों पर बैठकें होने जा रही है। इन बैठकों में समर्थकों का क्या निर्णय रहता है इस पर कल बुधवार को उदयपुर की बैठक पर मोहर लगेगी। सूत्रों के अनुसार अभी तक मार्कंडेय के समर्थक चुनाव लड़ने के पक्ष में हैं। मार्कंडेय चुनाव लड़ते हैं तो मुकाबला त्रिकोणीय व टफ होगा। इस स्थिति में विजय किसकी होती है यह देखने लायक होगा। बताया जा रहा है कि मार्कंडेय को इस समय सिंपेथी वोट अधिक पड़ने की संभावना है। क्योंकि मार्कंडेय दो बार यहां के मंत्री रहे हैं और जनता का काम किया है। जिस तरह से उन्हें भाजपा व कांग्रेस ने इग्नोर किया उसकी सिंपेथी मार्कंडेय को जरूर मिलेगी। उधर मार्कंडेय के चुनावी मैदान में उतरने से लाहुल-स्पीति में भाजपा को भारी नुकसान होने की पूरी संभावना है। रवि ठाकुर को मार्कंडेय पहले भी चुनौती थे और अब भी है। वहीं अनुराधा राणा वेशक नई उम्मीदवार है और कांग्रेस को अनुराधा से काफी उम्मीदें हैं लेकिन तिकोनिया मुकाबले में वोटो का बंटाधार व अन्य दावेदारों को मनाने की चुनौती रहेगी। ऐसे में अब लाहुल में तीनों दिग्गजों में किसी को कम नहीं आंका जा सकता है। अनुराधा के लिए कम समय भी चुनौती है और अंदर खाते कांग्रेस में अनुराधा पर कुल्लू-मनाली के नेताओं के ज्यादा हस्तक्षेप के आरोप भी लगने लगे हैं। इन सभी चुनौतियों को पार करना होगा। वहीं यदि मार्कंडेय चुनाव नहीं लड़ते हैं तो उस स्थिति में भी खतरा बरकरार है। इस स्थिति में मार्कंडेय व उनके समर्थकों का झुकाव किस उम्मीदवार की ओर रहेगा बोही विजेता होगा। इस स्थिति में मार्कंडेय किसी का भी बना बनाया खेल खत्म कर सकते हैं। भाजपा का समर्थन किया तो कांग्रेस पर भारी पड़ेंगे और कांग्रेस का समर्थन हुआ तो भाजपा पर भारी पड़ने बाले हैं। बहरहाल अब देखना यह है कि मार्कंडेय का क्या फैसला रहता है।