तुफान मेल न्यूज,आनी
निरमंड क्षेत्र के जाओं का ऐतिहासिक बैसाख मेला (आठे जाच) मेला शनिवार को प्राचीन रीति रिवाजों के साथ संपन्न हो गया है। बैसाख महीने की 8 प्रविष्ट को यह पर्व हर वर्ष यहां की 10 पड़ेई के लोगों द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और पुराने रीति रिवाजों के अनुसार यहां की प्राचीन संस्कृति का निर्वहन करते हैं।

पुजारी बृज लाल शर्मा ने बताया कि 7 बैसाख को यहां विरशू पर्व मनाया जाता है। इसमें मां चैलाशनी के पर्व में जाओं और दवाह के लोगों की अहम भूमिका रहती है और यहां के लोगों द्वारा सुहांग के रूप में नुकड़ नाटक प्रस्तुत किए जाते हैं। आठे जाच मेले में बजोड़ लोगों का दल नृत्य करते जाओ पहुंचते हैं और उसके बाद यहां भव्य नाटी लगती है।

मेले में परम्परागत वेशभूषा चोला कलगी. पट्टू पहनकर प्राचीन संस्कृति की अनूठी झलक देखने को मिलती है। बताया कि यह मेला प्राचीन समय में “ऋणु झिणु” दो भाई जोकि गद्दी थे।

वे कालांतर में गलेशियर के नीचे दब गए थे और बाद में उन्होंने मां चैलासनी का ध्यान किया और वे देवी के चमत्कार से गलेशियर से बाहर आए और 10 दिन बाद घर पहुंचे। उन्ही “ऋणु झिणु” के सुरक्षित मिलने की सूचना मिलते ही क्षेत्र के लोगों द्वारा खुशी मनाई गई और उनकी याद में इस पर्व को मनाया जाने लगा। इस मेले का क्षेत्र के लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है।
