बड़ी खबर:बागियों पर SC में कल और सीपीएस पर HC में परसों फैसला,सुक्खू सरकार के लिए 12 व 13 मार्च कयामत के दिन


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तूफान मेल न्यूज की विशेष रिपोर्ट:

हिमाचल की सुक्खू सरकार के लिए 12 व 13 मार्च के दिन कयामत के दिन है। सुप्रीम कोर्ट में जहां बागियों पर 12 मार्च को सुनवाई होनी है वहीं 13 मार्च को हाईकोर्ट में CPS मामले में निर्णय होना है। लिहाजा दोनों ही फैसलों पर अब सबकी नीगाहें टिक गई है। बागी यदि बहाल हो जाते हैं तो वोह सरकार के लिए फिलहाल चिंता का विषय होगा और सरकार अल्प मत में भी आ सकती है यदि 9 छह विधायक सरकार का साथ न दें तो। उसी तरह 13 मार्च को CPS पर फैसला होने की उम्मीद है। अब देखना यह है कि ऊंट किस करवट बैठता है। गौर रहे कि इससे पहले हिमाचल प्रदेश में मुख्य संसदीय सचिव बनाए गए 6 कांग्रेसी विधायकों की मंत्रियों जैसी सुविधाएं हाईकोर्ट पहले ही छीन चुका है। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने ओहले अपने अंतरिम आदेश में यह निर्देश दिए थे।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई वाली सरकार में सरकार के गठन के दौरान 6 कांग्रेसी विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव सीपीएस बनाया गया था। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी, BJP के 11 विधायकों ने इनकी नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है।

इस याचिका में मांग की गई है कि CPS बने विधायकों को मंत्री के तौर पर काम करने से रोका जाए। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस पार्टी के जिन 6 विधायकों को CPS बना रखा है, उनमें रोहड़ू के MLA ब्राक्टा, अर्की के संजय अवस्थी, कुल्लू के सुंदर सिंह ठाकुर, दून के राम कुमार चौधरी, पालमपुर के आशीष बुटेल और बैजनाथ के विधायक किशोरी लाल शामिल हैं।
इनकी नियुक्ति को BJP के 11 विधायकों के अलावा पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेस नामक संस्था और कल्पना नामक महिला ने हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है। याचिका में इनकी नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई। ऐसी स्थिति में सरकार पूरी तरह से संकट में हैं।

यदि सीपीएस की नियुक्तियां रद्द हुई तो वह भी सरकार के लिए मुश्किलों बाला समय है। सरकार से पहले ही ओहदा न मिलने से नाराज विधायक बागी हो चुके हैं और सरकार के पास अब सिर्फ एक मंत्री पद शेष बचा है। सीपीएस गए तो सरकार किसको निगम,बोर्ड का अध्यक्ष व किस को मंत्री पद दे सकती है इस पर विद्रोह बढ़ सकता है। ऐसे में सुक्खू न अपने लोगों को खुश कर पाएंगे और न ही दूसरे गुट के विधायकों को खुश कर पाएंगे। बहरहाल देखना यह है कि SC और HC के क्या निर्णय रहते हैं।

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