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भजन कीर्तनों से गूंजा गड़सा व भुंतर शहर
तुफान मेल न्युज, भुंतर
शुक्रवार को भुंतर में गुरु रविदास जी के जन्मोत्सव पर भव्य शोभायात्रा निकाली गई।
हर बर्ष की भांति इस बर्ष भी गुरु रविदास जी का 647वां जन्मोत्सव कुल्लू घाटी में बड़ी धूमधाम से मनाया गया । श्री गुरु रविदास जी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में गड़सा से भुंतर तक रविदास के अनुयाईयों द्वारा भव्य शोभायात्रा निकाली गई । जिसमें गड़सा, हुरला, ठेला, नगवाईं, बजौर, रोपा, बगीचा, भुंतर ,शमशी, गदौरी, जिया मौहल, प्रगाणु, मनाली व मणिकर्ण घाटी के श्रद्धालुओ ने भाग लिया ।
गुरु रविदास शोभायात्रा प्रवंधन कमेटी के प्रमुख कमलू राम व अन्य सदस्यों ने कहा कि गुरु की प्यारी साध संगत द्वारा गड़सा घाटी से रविदास की झांकी का आगाज किया गुरु जी की सुशोभित झांकी के साथ ठेला, गड़सा, रुआडू, जरड़ व सुईभ्रा से भजन-कीर्तन करते हुऐ गुरुद्वारा श्री गुरु ग्रन्थ साहिब भुंतर पहुंचे । संगत ने गुरु ग्रन्थ साहिब के पास माथा टेका व हाजिरी भरी उसके उपरान्त प्रभु का गुणगान करते हुए शोभायात्रा भुंतर शहर से निकली और अंबेडकर नगर पहुंची ।
श्री गुरु रविदास के अनुयाइयों का कहना है कि यह शोभायात्रा आपसी भाईचारे और समाज में फैली कुरीतियों को मिटाने के लिए निकाली जाती है । पुण्य आत्माएं संत के भेष में जब भी भारत बर्ष की इस पावन धरा पर उत्तरी तो उन्होंने समाज को एक सूत्र में पिरोने का भरपूर प्रयास किया ।इस तरह के पावन अवसरों पर किए धार्मिक कार्यक्रमों से संत के बताए सत् मार्ग पर चलने की प्रेरणा समाज को मिलती है । रविदास जी के दोहों से भी समाज के लिए प्रेरणादायक हैं ।
हरि सो हीरा छाड़ि के करे आन की आस । तेनर दोजख जाहिगें सत भाखै रविदास ।। जिह्वा से ओंकार भज, हत्थन सौं कर कार । राम मिलहि घर आईकर, कहीं रविदास विचार ।। रविदास उपजई सभ इक नूर तें, ब्राह्मण मुल्ला सेख । सभी को करता एक है, सभ कू एक ही पेख ।। जयंती के शुभ अवसर पर सभी के सहयोग से संगत को सत्संग की अमृत वर्षा का अमृत पान करवाया गया । श्रद्धालुओं के लिए लंगर प्रसाद के साथ विशाल भंडारे का आयोजन अंबेडकर नगर भुंतर में किया जिसमें गुरु का अटूट लंगर बरता गया ।