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कुल्लूवी व्यंजनों से खुशबू से महक उठी रघुनाथ की नगरी
-कुल्लवी कचौरी व सिड्डू ने दिलाया कईयों को रोजगार
तूफान मेल न्यूज,कुल्लू। भले ही कु ल्लू-मनाली की संस्कृति पाश्चात्य की धारा में बहने लगी हो। पंरतु यहां के परंपरागत व्यंजनों से रघुनाथ की नगरी महक उठी है। कुल्लूवी व्यजन सिड्डू व कचौरी पकवान स्थानीय लोगों के अलावा बाहर से आने वाले पर्यटकों तथा विदेशियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। हालांकि दशहरा उत्सव संपन्न हो चुका है लेकिन प्रदर्शनी मैदान में लगे स्टॉल में लोग सिड्डू व कचौरी का स्वाद लेना नहीं भूलता है।
प्रदर्शनी मैदान में इस बार सिडडू व कचौरी के करीब दो दर्जन से अधिक स्टाल लगे हुए हैं जिसमें हर समय भीड़ दिख रही है। कुल्लूवी व्यंजन सिड्डू व कचौरी ने कुल्लू की दर्जनों महिलाओं का रोजगार का मुख्य साधन बन गया है। सिड्डू को नई पहचान दिलाने वाली कुल्लू रजनी ने बताया कि 2001 में पहली बार दशहरा पर्व में सिड्डू का स्टाल लगाकर इस व्यंजन को बाजार में उतारा था। जिस कारण आज सिड्डू व कचौरी की पहचान का हर कोई मोहताज नहीं है। वहीं सिड्डू का स्टाल चला रही शिला नेगी ने बताया हर वर्ष की भांति इस बार भी सिड्डू के स्टालों में खूब भीड़ लग रही है और लोग स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ उठा रहे हैं। लिहाजा दशहरा उत्सव में सिडुओं व कचौरियों की ही धूम है।
हर कोई इस स्वादिष्ट पकवान के चटकारे लेने से पीछे नहीं हटना चाहता है। सिड्डू का नाम जहन में आते ही हर भरा पेट होकर इसका स्वाद लेना नहीं भूल रहा है। कुल्लू पकवान सिड्डू व कचौरी पर गौर किया जाए तो यह पश्चिमी खाने का एक प्रारूप है। पिछले पांच वर्षों से कुल्लू दशहरा हो या फिर पीपल मेला, हर तीज त्योहारों में सिड्डू ने एक अलग पहचान बनाई है। कुल्लू दशहरे के दौरान प्रदर्शनी ग्राउंड में लगे स्टालों में सिडुओं व कचौरी के स्टालों पर भारी भीड़ देखने को मिलती है। दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर पर्यटकों व यहां आए कारोबारी से लेकर इन व्यंजनों को चाहने वालों की कोई कमी नहीं हैं। खान-पान के बदलते परिवेश में भी सिड्डूओं ने भी रूप बदला है ।
कहीं अखरोट के सिड्डू बनाए जाते हैं तो कहीं दाल के सिड्डू तैयार कर इन्हें ग्राहकों को चटनी,घी,अचार व टोमेटो सॉस के साथ परोसा जा रहा है। गले से नीचे उतरते ही लोग बार-बार इस ओर अपने कदमों को रोक नहीं पा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सिड्डु व कचोरी कुल्लू का परंपरागत व्यंजन हैं। देव भूमि में खास तीज त्यौहारों इन व्यंजनों को मेहमानबाजी में देसी घी के साथ बड़े ही चाव से परोसा जाता है। पिछले कुछ वर्षो से सिड्डू व्यंजन पर पाश्चात्य व्यंजन भारी पड़े थे। किंतु अब सिड्डु व्यंजन इतना प्रसिद्ध हो कर बाजार में धूम मचा रहा है। सिड्डू व कचौरी व्यंजन ने सैंकड़ों लोगों को जहां रोजगार मुहैया करवाया है,वहीं हर किसी को अपना दिवाना बनाया है