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HGTसे बनी थी HRTC कमा रही है 65 से 80 करोड़ हर महीना
तूफान मेल न्यूज,नाहन।
हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम अपनी स्थापना के 50 वें वर्ष में प्रवेश कर गया है। अपनी गोल्डन जुबली मनाए जाने को लेकर एचआरटीसी आज 2 अक्टूबर से ही तैयारी में जुट चुका है। अब 2 अक्टूबर 2024 को हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम अपनी गोल्डन जुबली मनाएगा। खट्टी मीठी यादों के साथ 2 अक्टूबर 1974 को हिमाचल गवर्नमेंट ट्रांसपोर्ट की जगह हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम का गठन किया गया था। आप जानकर हैरान हो जाएंगे की 2 अक्टूबर 1974 से पहले एचआरटीसी का नाम HGT यानी हिमाचल गवर्नमेंट ट्रांसपोर्ट हुआ करता था।
जिस दौरान हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम फंक्शनिंग में आया था उसे दौरान उनके बेढे में 665 बसें शामिल हुई थी और यह सभी बस है टाटा कंपनी की हुआ करती थी।
बता दे कि आज हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम की बसें न केवल प्रदेश में बल्कि देश की नेपाल सीमा टनकपुर तथा दुनिया के सबसे उंचे और खतरनाक रूट माने जाने वाले लेह लद्दाख तक भी जाती है। अच्छे से अच्छे और बुरे से बुरे दिन देखने वाली एचआरटीसी ने मुस्कुराते हुए ही अपनी सवारीयों का स्वागत किया है। कड़े प्रशिक्षणों के बाद एचआरटीसी का चालक दुर्गम से दुर्गम क्षेत्र के रूट पर सुखद यात्रा के साथ हर सवारी को उसके गंतव्य तक पहुंचना है। आज एचआरटीसी के बेड़े मैं 2500 लग्जरी ,सुपर लग्जरी तथा सामान्य बसे हैं। और आज हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसें छोटे और बड़े कुल मिलाकर 3750 रूटों पर लगातार दौड़ रही है। आप जानकर हैरान हो जाएंगे की सरकारी बसों में 27 ऐसी कैटेगरी है जिन्हें मुफ्त यात्रा अथवा यात्रा में कुछ छूट दी जाती है। पहली कक्षा से 12वीं कक्षा तक के सभी बच्चों को बिल्कुल फ्री रखा गया है। पुलिस को भी फ्री ट्रैवलिंग की सुविधा है तो वही नौकरी पेशा महिलाओं को सिर्फ 15 दिन का ही किराया देना है बाकी 15 दिन मुफ्त रखे गए हैं। तो वही कॉलेज आईटीआई मेडिकल कॉलेज आदि संस्थाओं के बच्चों के लिए केवल 5 दिन का किराया ही महीने में रखा गया है बाकी दिन निशुल्क यात्रा सुविधा रखी गई है।
इस प्रकार कुल 27 ऐसी कैटेगरी है जिनको विशेष छूट अथवा फ्री रखा गया है। बावजूद इसके अथक मेहनत और खून पसीना बहाते हुए एचआरटीसी 60 से 80 करोड रुपए प्रति महीना की इनकम भी कर रही है। एचआरटीसी का चालक और परिचालक भारी तनाव और दबाव के बावजूद हंसते हुए अतिथि देवो भव परंपरा का निर्वहन करता है। इस निगम में कल 12000 कर्मी लगातार अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जबकि 7000 के आसपास पेंशनर्स भी हैं। अब यहां यह भी बताना जरूरी है कि प्रदेश में यदि किसी विभाग के पेंशनर की सबसे ज्यादा खस्ता हालत है तो वह एचआरटीसी के पेंशनर की है। बावजूद इसके हर विषम परिस्थिति में एचआरटीसी के चालक और परिचालक ने निगम को कमाऊ पूत बना रखा है। यही बड़ी वजह है कि सुरक्षित और सुखद यात्रा के चलते हिमाचल में आने वाला पर्यटक एचआरटीसी की बस में सफर कर गर्व महसूस करता है।
बता दे की आजादी से पहले जब हिमाचल प्रदेश का गठन नहीं हुआ था तो उसे समय नाहन में भी इस टीम बस चला करती थी। धीरे-धीरे सरकारी बसों का कारवां आगे बढ़ता गया बेडफोर्ड अमेरिका बस के बाद हिमाचल प्रदेश की सड़कों पर टाटा और लीलैंड का कब्जा होता चला गया। आज एचआरटीसी की बसें दिल्ली जयपुर टनकपुर चंडीगढ़ देहरादून पंजाब अमृतसर के साथ-साथ हिमाचल में स्पीति काजा 24/7 अपनी सेवाएं दे रही है। 1974 में जहां प्रदेश में गिने चुने ही बस अड्डे थे आज पूरे प्रदेश में 60 से अधिक बढ़िया और आधुनिक बस अड्डे बनाए गए हैं। हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम ने अपने 50 वें वर्ष में प्रवेश करते ही जहां गर्व महसूस किया है तो वही अपनी स्थापना की गोल्डन जुबली को मनाया जाने को लेकर अभी से ही तैयारी शुरू कर दी गई हैं। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री का कहना है कि प्रदूषण मुक्त परिवहन के तहत निगम के बेड़े में इलेक्ट्रिक बसों को अधिक से अधिक संख्या में शामिल किया जाएगा। उनका मानना है कि जिस दिन गोल्डन जुबली मनाई जाएगी उसे दिन पूरे देश के सरकारी परिवहन में हिमाचल प्रदेश का एचआरटीसी रोल मॉडल साबित होगा।