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हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के चलते करोड़ों रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ है। ऐसे में केंद्र सरकार के द्वारा प्रभावित परिवारों को राहत भी दी गई है। लेकिन उस राहत राशि को बांटने में भी भेदभाव किया जा रहा है जो बिल्कुल भी सही नहीं है। ढालपुर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद महेश्वर सिंह ने कहा कि यहां पर जो सच में बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। उनके नुकसान का कोई जायजा नहीं लिया जा रहा है। जबकि जिनका काफी कम नुकसान हुआ है उन्हें सरकार की ओर से मुआवजा जारी किया जा रहा है। ऐसे में राहत राशि बांटने में सरकार बिल्कुल भी भेदभाव ना करें। पूर्व सांसद ने कहा कि कुछ लोग प्रभावितों के साथ भेदभाव करने में जुटे हुए हैं।
लेकिन जब केंद्र सरकार सभी प्रभावितों को राहत राशि दे रही है तो इस प्रकार का भेदभाव करना बिल्कुल भी सही नहीं है। वहीं उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग के द्वारा जमीन और घरों के नुकसान का ब्यौरा तो लिया जा रहा है। लेकिन किसानों और बागवानों की फसलों का अभी तक कोई डाटा तैयार नहीं किया गया है। किसान और बागवानों के खेतों में फसलें पूरी तरह से तैयार थी। लेकिन बाढ़ व भूस्खलन के चलते वह पूरी तरह से नष्ट हो गई। ऐसे में प्रदेश सरकार बागवानी विभाग को भी निर्देश जारी करें। ताकि वह खराब फसलों का भी डाटा तैयार करें। क्योंकि जब तक इसका डाटा तैयार नहीं होगा तो किसान बागवान को सरकार किस प्रकार से राहत देगी। इस पर भी संशय बना हुआ है। वहीं पूर्व सांसद महेश्वर सिंह ने कहा कि ब्यास नदी के तटीय करण का मुद्दा उन्होंने पहले भी केंद्र सरकार के समक्ष रखा था। अब बाढ़ के चलते ब्यास नदी के दोनों किनारों पर काफी नुकसान हुआ है और जो राशि खर्च होनी थी। वह भी दुगुनी हो सकती है। आगामी समय में भी ब्यास नदी के पानी से किसी प्रकार का नुकसान ना हो। इसके लिए नदी का तटीयकरण किया जाना काफी आवश्यक है और प्रदेश सरकार भी इस मामले को गंभीरता से देखें।
अंधा बांटे रेवड़ी,मुड़-मुड़ अपनो को दें
महेश्वर सिंह ने कहा कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर आर्थिक सहायता प्रदान करनी चाहिए। भगवान को नाजिर-हाजिर होकर सहायता होनी चाहिए।
इसलिए निवेदन है कि प्रशासन अपना काम स्वतंत्रता से करें।
सभी विभाग जी जान से काम कर रहे हैं। विभागों के साथ हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। लेकिन यहां तो अंधा बांटे रेवड़ी मुड़-मुड़ अपनो को दें बाली कहावत चरितार्थ हो रही है।