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फैक्ट्री चलवा कर खोज रही है टीम 21 वर्कर से 500 करोड़ से अधिक कमाने का धंधा
तूफान मेल न्यूज, नाहन।
केंद्र से आई आयकर विभाग की ढाई दर्जन से अधिक अधिकारियों की टीम चौथे दिन तक लगातार काला अंब में डटी हुई है। सूत्रों की माने तो इनकम टैक्स विभाग अब अरबो के इस खेल का पूरा पर्दाफाश करने के काफी नजदीक पहुंच चुका है।
करीब ढाई दर्जन से अधिक इनकम टैक्स अधिकारियों की टीम अलग-अलग जगह पर 4 दिनों से डटी हुई है। दोनों प्रमुख फैक्ट्रियों के पार्टनर के घरों पर भी पुलिस पहले के साथ टीम के सदस्य जमे हुए हैं।
जानकारी तो यह है कि केवल दो ही पार्टनर आयकर विभाग की टीम के कब्जे में है बाकी कहां है इसकी जानकारी किसी को नहीं मिल पाई है। फैक्ट्रियों की लेबर वर्कर सहित सभी लोगों को फैक्ट्री के भीतर ही रखा गया है किसी को आने जाने के लिए इजाजत तक नहीं दी जा रही है। यहां तक कि सभी के खाने और पीने सोने आदि का इंतजाम थी आयकर विभाग के द्वारा ही किया जा रहा है। मीडिया के द्वारा प्रेस ब्रीफिंग के लिए आयकर अधिकारी से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने फिलहाल कोई भी जानकारी देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा की जांच पूरी हो जाने के बाद पीआईबी के माध्यम से प्रेस रिलीज जारी की जाएगी।
बावजूद इसके फैक्ट्री के ही सूत्र हाथ लगने के बाद कई महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाई गई।
बता दें कि 30 मई को सेंट्रल इनकम टैक्स की टीम के द्वारा सरस्वती स्पिनिंग मिल मोगिनंद और दूसरा तिलोकपुर स्थित प्लांट पर है दबिश दी गई थी। पूरी की पूरी टीम 30 तारीख से अभी तक काला आम सहित जीएसटी दफ्तर नाहन तक फैली हुई है।
यही नहीं फैक्ट्री के सभी पार्टनर के घरों पर भी इनकम टैक्स के अधिकारी पुलिस के साथ दबिश दिए हुए बैठे हैं।
सूत्रों की माने तो इनकम टैक्स की टीम ने अपना जांच का जरिया फैक्ट्री के टर्नओवर सहित फर्मों से खरीदे गए रॉ मैटेरियल, बिजली की खपत कर्मचारियों की संख्या और सेल आदि तक खुद जांच की जा रही है। इनकम टैक्स अधिकारियों के द्वारा खुद फैक्ट्री चलवा कर प्रोडक्शन आदि भी जांची जा रही है।
असल में इन फैक्ट्रियों की गतिविधियां और कारोबार उस समय इनकम टैक्स विभाग के रडार पर आया जब सेंट्रल जीएसटी ऑल स्टेट जीएसटी ने अपनी कार्रवाई की थी। होता यह है कि जबसे जीएसटी में इंटीग्रेशन हुई है उसके बाद जीएसटी विभाग जो भी कार्यवाही करता है उसकी सूचना डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस को देनी होती है। जाहिर है इसकी सूचना आयकर विभाग को लगी होगी जिसको लेकर दिल्ली से आई टीम ने यहां पर रेड की है।
सूत्रों की माने तो फैक्ट्री के द्वारा बीते वर्ष में 500 करोड़ से भी अधिक का टर्न ओवर दिखाया है। आयकर विभाग इस चीज को भी परखना चाहता है कि आखिर जिस फैक्ट्री में 20 से 21 वर्कर हैं वह फैक्ट्री इतनी बड़ी कमाई कैसे कर सकती है। संभवत आयकर अधिकारी इसीलिए यहां लगातार पिछले 4 दिनों से डटे हुए हैं ताकि वह यह देख सकें कि क्या वास्तव में यह कमाई जायज है या कोई बड़ा खेल।
शक की बुनियाद इसलिए भी डली थी क्योंकि फैक्ट्री के द्वारा दूसरे राज्य की फर्म से माल खरीदा गया था। अब जब माल खरीदा गया तो उसका कुछ टैक्स भी दिया गया। माना कि यह टेक्स ₹10 था तो वही फर्म के द्वारा वह टैक्स जमा किया नहीं गया और जब फैक्ट्री ने अपना टैक्स बनाया तो वह ₹10 लेस कर लिए। अब जब जांच चलती है तो पता चलता है कि जिस फर्म से माल खरीदा गया था वह फार्म 15 दिन में ही गायब हो गई।
कच्चे-पक्के के इस खेल में संभावना कहीं ना कहीं बड़ी खामियां रह गई जिसके चलते अब फैक्ट्री की पैसा बनाने वाली पारसमणी इनकम टैक्स विभाग के हाथ लग चुकी है। फर्जी फर्मो का यह खेल असल में बॉर्डर एरिया पर ही खेला जाता है क्योंकि हिमाचल प्रदेश में जो भी फार्म रजिस्टर्ड होती है उसकी जांच उस क्षेत्र के इंस्पेक्टर को मौके पर भेजकर की जाती है। मगर जो सेंट्रल जीएसटी विभाग से रजिस्ट्रेशन कराई जाती है वहां पर कई कारणों को लेकर बनाई गई फर्म की जांच नहीं हो पाती है। ऐसे में फर्जी फर्मो के आधार पर बड़े-बड़े खेल खेल दिए जाते हैं।