बिन पतवार रूमित की राजनीतिक नईया समा गई राजनीति के भंवर में


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गणेश जी पूजे नहीं और कर दिया अश्वमेध यज्ञ, आखिर बिखर ही गया प्रदेश में स्वर्ण कुनबा
तूफान मेल न्यूज ,नाहन।
वह कहते हैं ना कि बिना गुरु महाभारत लड़ा नहीं जा सकता और बिना पतवार की नैया को किनारा मिल नहीं सकता। यह कहावत देवभूमि क्षत्रिय संगठन और स्वर्ण मोर्चा के कर्णधार रूमित ठाकुर पर पूरी तरह से स्टीक बैठती है। मंगलवार को नाहन के चौगान मैदान में आयोजित देवभूमि क्षत्रिय संगठन और स्वर्ण मोर्चा का का राजनीतिक वर्चस्व बनाम स्वर्ण महासम्मेलन पूरी तरह से धराशाई हो गया। सरकार के खुफिया तंत्र के साथ-साथ राजनीतिक दिग्गजों सहित मीडिया वालों की नजरें महासम्मेलन के तंबू में 1 लाख स्वर्णो को ढूंढती रह गई। मगर कई बार और कई जगह से गिनती करने के बाद भी संख्या 1000 और 2000 के बीच में भी ठहरती नजर नहीं आई।
बरहाल अब बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर 1 महीने से जिस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की जा रही थी वह कैसे फ्लॉप हो गया। सबसे बड़ी बात तो यह है कि मुख्यमंत्री को रूमित ठाकुर ने स्वागत समारोह के लिए मना लिया था। और मुख्यमंत्री के सामने ही दावा किया था कि ऐसा भव्य स्वागत किसी का नहीं हुआ होगा जो सुखविंदर सिंह सुक्खू का किया जाएगा। मगर यह सम्मेलन कहां होगा इसका खुलासा उस समय नहीं हुआ था। इसके साथ साथ विपक्ष में बैठे भाजपा के प्रमुख नेत प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के स्वर्ण समर्थक भी चौंकाने हो गए। और सबसे अहम जो गलती इस आयोजन को लेकर के रूमित ठाकुर के द्वारा की गई वह थी बगैर स्थानीय विधायक अजय सोलंकी के बगैर मुख्यमंत्री को नाहन आने का निमंत्रण दिया जाना। रूमित यह नहीं जानते की अजय सोलंकी मुख्यमंत्री का सबसे खास खास भी है। जाहिर है राजनीतिक अर्थशास्त्री कहीं ना कहीं बनाए जा रहे गणित को समझ भी रहे थे। चर्चा तो यह भी रही कि ससुराल में भविष्य की राजनीति की पटकथा लिखने की कोशिश की जा रही है। अब यदि कोई ऐसा सोच भी रहा होगा तो वह गलत भी नहीं हो सकता। मजे की बात तो यह है कि जिला के प्रमुख कद्दावर नेता यानी मंत्री हर्षवर्धन चौहान अजय सोलंकी पूर्व विधायक पौंटा साहिब करनेश जंग भी स्वर्ण वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। इसके साथ साथ पावटा विधानसभा क्षेत्र के लिए चर्चा में चल रहे कांग्रेसी चेहरे में नाहन के 1 बड़े ठाकुर जोकि हर्षवर्धन चौहान और अजय सोलंकी सहित रेणुका जी के विधायक विनय कुमार के भी खास माने जाते हैं। वह भी स्वर्ण वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। अब सूत्रों की माने तो जानकारी यह भी थी कि इस महासम्मेलन को सफल करने में छुटने वाली संख्या 1 लाख से भी अधिक जा चुकी थी। मगर ऐन वक्त पर तप कर लाल हुए राजनीतिक तवे पर किसी ने पानी की बाल्टी उड़ेल दी। इसके साथ साथ अब यह भी साबित हो गया कि प्रदेश का स्वर्ण वर्ग का कुनबा पूरी तरह बिखर गया है और स्वर्ण आयोग के गठन का मुद्दा भी दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के गले की फांस बनते बनते बच गया है। रूमित ठाकुर राजनीतिक गेम बनाने से पहले यह भी नहीं समझ पाए कि प्रदेश में सरकार चाहे भाजपा की हो चाहे कांग्रेस की हो मुख्यमंत्री स्वर्ण वर्ग से ही बनता है। रूमित का दाव परफेक्ट भी हो सकता था मगर उन्होंने ऐसे वक्त पर राजनीतिक आकांक्षाएं जाहिर कर दी जब दोनों ही प्रमुख पार्टियों से ताल्लुक रखने वाले स्वर्ण वर्ग के लोग तन मन धन सब तरह से रूमित के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे। यह गेम पूर्व सरकार के समय खेली गई थी यह एक बड़ा कूटनीतिक दांव था। असल में रूमित अपनी राजनीतिक आकांक्षाएं जाहिर नहीं करना चाहते थे मगर भीड़ में लिखी गई एक पत्रकार के माध्यम से जो पटकथा तैयार की गई थी उसने अंग्रेजों के प्रमुख सूत्र को एक बार फिर चरितार्थ किया। एन वक्त पर फूट डालो राज करो की नीति का दाव सफल हो गया।
वही नाहन में आयोजित किए जा रहे कार्यक्रम में यदि रूमित ठाकुर मुख्यमंत्री को निमंत्रण देने में विधायक को भी साथ लेकर जाते और विधायक की ही देखरेख में सारा कार्यक्रम आयोजित करवाते तो यह कार्यक्रम फ्लॉप होने का सवाल ही पैदा नहीं होता था। जाहिर सी बात है किसी भी कार्य की शुरुआत से पहले गणेश पूजन किया जाता है। अभी अभी गणेश जी रूस्ट हो गए तो पूजा कैसे सफल मानी जा सकती है। और किसके साथ साथ आयोजित कार्यक्रम में कोई भी राजनीतिक चेहरा नहीं था। कुछ गाने बजाने वालों और कुछ कलाकारों सहित दो ऐसे चेहरों के दम पर एक लाख की भीड़ का दावा किसी भी सूरत में सफल हो नहीं सकता था। बरहाल एक बात बिल्कुल सही कही है कि भले ही प्रदेश में मुख्यमंत्री स्वर्ण वर्ग का बनता हो मगर यह वर्ग प्रदेश में किसी भी तरह से एकजुट नहीं है। ऐसे में स्वर्ण आयोग के मुद्दे से भटका देवभूमि क्षत्रिय संगठन और स्वर्ण मोर्चा कहीं ना कहीं आपसी लड़ाई में अब ज्यादा उलझ जाएगा।

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