प्रदेश में ड्रोन प्रौद्योगिकी को बड़े स्तर पर बढ़ावा देगी प्रदेश सरकार


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विकास कार्यों की निगरानी एवं चौकसी में होगी सहायक

तूफान मेल न्यूज ,कुल्लू।

प्रदेश के सभी क्षेत्रों के तीव्र विकास एवं कार्यक्षमता में सुधार के दृष्टिगत राज्य सरकार मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के दूरदर्शी नेतृत्व में ड्रोन प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
पिछले कुछ वर्षों से ड्रोन विभिन्न व्यावसायिक एवं सरकारी संगठनों की गतिविधियों में निगरानी व अन्य कार्यों के लिए एक प्रभावी उपकरण बन चुका है। रक्षा से लेकर कृषि एवं उद्योग इत्यादि विभिन्न क्षेत्रों में ड्रोन प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस तकनीक से जरूरत के समय वस्तुओं की त्वरित आपूर्ति सुनिश्चित हुई है, वहीं सैन्य गतिविधियों में दूरस्थ अथवा मानव की पहुंच से दूर स्थलों की पहचान एवं निगरानी इत्यादि में भी यह सहायक है। इससे दुर्गम क्षेत्रों में समयबद्ध एवं कुशलतापूर्वक विभिन्न कार्य संपन्न करना भी संभव हुआ है


यह तकनीक भवन व अन्य निर्माण कार्यों से जुड़े इंजीनियरों के लिए सटीक गणना एवं डिजाइन इत्यादि में भी उपयोगी सिद्ध हो सकती है। सरकारी निर्माण एजेंसियों को भी कम अवधि में अपने कार्यों की विभिन्न कोणों से निरीक्षण एवं सर्वेक्षण की सुविधा इससे प्राप्त हो सकेगी। बहुमंजिला भवनों के प्रभावी एवं सुविधाजनक निरीक्षण एवं पुनः निरीक्षण में भी उनके लिए ड्रोन उपयोगी हैं। इसके उपयोग से इंजीनियर सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन के दौरान और अधिक दक्षता एवं सुगमता के साथ कार्य कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त यह तकनीक विद्युत लाइनों, जलापूर्ति पाइप और गैस पाइप लाइनों, पुलों के ढांचों इत्यादि के सुरक्षा से संबंधित विभिन्न निरीक्षणों में भी उपयोगी है।
यूएवी (अज्ञात वायु वाहन), लघु पायलट रहित एयरक्राफ्ट अथवा उड़ते हुए मिनी रोबोट जैसे विभिन्न नामों से ड्रोन तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। हालांकि यह तकनीक अभी अपने शुरुआती दौर में है। फिर भी इसने कई बाधाओं से पार पाते हुए उद्योग क्षेत्र में ऐसे प्रौद्योगिकी नवाचारों को राह दिखाई है जो किसी समय असंभव प्रतीत होते थे। प्रदेश में ड्रोन नीति बनाई जा चुकी है परंतु इसे पूरी तरह से अपनाने एवं व्यवहारिक तौर पर उपयोग में लाने की दिशा में बहुत कुछ किया जाना शेष है।
मुख्यमंत्री का मानना है कि प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत ड्रोन सबसे दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंचने की क्षमता रखते हैं और इसके लिए न्यूनतम ऊर्जा, श्रम, समय और मानव संपदा की आवश्यकता होगी। यही कारण है कि हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों के लिए यह प्रौद्योगिकी किसी वरदान से कम नहीं है। विभिन्न आपदाओं में इसके माध्यम से बचाव कार्य अधिक दक्षता के साथ संचालित किए जा सकते हैं।
अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का समावेश करते हुए सरकारी विभागों की विभिन्न सेवाओं को और सुलभ बनाने पर भी राज्य सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। स्वास्थ्य एवं अन्य क्षेत्रों में यह प्रौद्योगिकी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है जिससे लोगों को भी व्यापक स्तर पर लाभ होगा। कृषि क्षेत्र में ड्रोन तकनीक का उपयोग करते हुए किसानों के समय एवं श्रम की बचत करते हुए अपेक्षित परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। यह नई तकनीक खनन, कानून प्रवर्तन, कृषि, बागवानी, अपराध नियंत्रण, लॉजिस्टिक्स, बचाव कार्यों, निगरानी, वनों एवं वन्य जीवों के संरक्षण इत्यादि विभिन्न क्षेत्रों में पेशेवरों के कार्यों को सुगम बना सकती है।
इसके अतिरिक्त निकट भविष्य में यह सैन्य प्रौद्योगिकी में भी बड़े परिवर्तन की वाहक बन सकती है। यूरोपीय देशों से बाहर घरेलू स्तर पर भी अब सशस्त्र ड्रोन विकसित किए जा रहे हैं। पाकिस्तान, तुर्की, ईरान, रूस, ताईवान सहित भारत ने भी सैन्य ड्रोन उत्पादन की दिशा में कदम आगे बढ़ाए हैं। आने वाला समय ड्रोन का है। विश्व के लगभग 113 देश सैन्य ड्रोन कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं और भविष्य के सभी सैन्य अभियानों में इनकी मुख्य भूमिका रहेगी।

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