हिमाचल में बनेगी दुनिया की सबसे ऊंची शिंकुला टनल,निर्माण में 1861 करोड़ रुपए होंगें खर्च


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तूफान मेल न्यूज कुल्लू। इंडो- तिब्बत व इंडो-पाक सीमा तक जाने के लिए हिमाचल प्रदेश के जिला लाहुल-स्पीति में दुनिया की सबसे ऊंची टनल बनने जा रही है।
अटल रोहतांग टनल के बाद दूसरी अजुवा टनल होगी शिंकुला

हिमाचल में अटल टनल रोहतांग के बाद अब यह टनल दुनिया की सबसे ऊंची टनल होगी। बीआरओ BRO डीजी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने कहा कि अटल टनल रोहतांग के बाद दुनिया की सबसे ऊंची टनल होगी और BRO इसका निर्माण करने जा रहा है। उन्होंने बताया कि टनल के निर्माण में 1861 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यह टनल कई मायनों में अहम है। यह टनल सीमा तक रसद,गोला-बारूद पहुंचाने का तीसरा और सबसे सुरक्षित विकल्‍प होगी।

युद्धस्तर पर जारी है जोजिला पास टनल निर्माण का निर्माण

डीजी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने कहा कि मौजूदा समय में लेह-लद्दाख के लिए पहला विकल्‍प जोजिला पास है, जो पाकिस्‍तान सीमा क्षेत्र से सटा है। दूसरा विकल्‍प बारालाचा पास है, जो चीन सीमा से सटा है। अब यह तीसरा मार्ग शिंकुला पास में बनेगा। यह मार्ग दोनों देशों की सीमा से दूर मध्‍य में होगा। ऐसे में यह मार्ग काफी महत्‍वपूर्ण होगा। श्रीनगर-लेह के बीच जोजिला पास में युद्धस्तर पर टनल का निर्माण कार्य चल रहा है।

डीजी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने
कहा कि स्पीति को भी लेह से जोड़ने की योजना तैयार है। वे शिंकुला व बारालाचा दर्रे का दौरा करने के बाद शनिवार को अटल टनल के नॉर्थ पोर्टल में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि टनल समुद्रतल से साढ़े 15 हजार फुट की ऊंचाई पर बनाई जाएगी।

4.12 किमी लंबी शिंकुला टनल दुनिया में बनने वाली सबसे ऊंची व लंबी टनल होगी

4.12 किमी लंबी शिंकुला टनल दुनिया में बनने वाली सबसे ऊंची व लंबी टनल होगी।
उन्होंने कहा कि निमु पदुम शिंकुला दारचा मार्ग के बन जाने से जांस्कर घाटी के लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा, जो आज भी बिजली और सड़क सुविधा से वंचित हैं। वहीं शिंकुला टनल बनने से सेना के वाहनों की गतिविधि की जानकारी दुश्‍मन को नहीं लग पाएगी। लिहाजा हिमाचल में सामरिक दृष्टि से बड़े काम होने जा रहे हैं

और अब लेह जाना बिल्कुल आसान होगा। यह जहां सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगी वहीं पर्यटन के लिहाज से भी प्रदेश के पर्यटन कारोबार को चार चांद लगाएगी। टनलों के खुल जाने से वर्ष में जहां यह क्षेत्र बर्फ के कारण आठ महीने शेष दुनिया से कटा रहता है वहीं अब कम से कम वर्ष में 11 माह यह मार्ग खुला रहेगा और लेह-लद्दाख तक सफर आसान होगा।

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