एम्स के प्रशिक्षु चिकित्सक रक्षित वशिष्ठ द्वारा निर्मित माॅडल से होगीलाखों की बचत


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डा. डार्विन कौशल के शिष्य हैं एमबीबीएस तृतीय वर्ष के छात्र रक्षित वशिष्ठ

  • जीवन रक्षक वायुमार्ग प्रक्रिया को सीखने के लिए लाभदायक सिद्ध होगा यह
    प्रभावी मॉडल (मैनिकिन)

तूफान मेल न्यूज ,बिलासपुर।

एम्स कोठीपुरा के विद्यार्थियों के हुनर अब लाभकारी बनकर सामने आना शुरू हो गए हैं। दक्ष गुरूओं के सानिध्य में स्टूडेंट डाक्टर्स नई तकनीकों को लाभदायक बनाकर भविष्य के खर्चों को कम करने के लिए अग्रणी भूमिका निभा
रहे हैं। जी हां बिलासपुर एम्स यानि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान के तृतीय वर्ष के छात्र रक्षित वशिष्ठ ने एक ऐसा माॅडल तैयार किया है जिस पर पहले लाखों रूपए व्यय होते थे किंतु अब यह केवल दो सौ रूपए मात्र की लागत से कारगर साबित होगा।

यह कारनामा एम्स में डॉ. डार्विन कौशल (एसोसिएट प्रोफेसर डिपार्टमेंट ऑफ ओटोराइनोलेरिंगोलॉजी) की रहनुमाई में संभव हो पाया है। साधारण शब्दों में इस यदि समझने का प्रयास किया जाए तो जब मरीज वेटीलेटर पर जा रहा होता है तो उसके गले नाक आदि में पाईप्स आदि डाली जाती हैं जिन्हें मैडीकल की भाषा में मैनीकिन कहते हैं तथा इनका खर्च लाखों में आता है। चिकित्सकीय शिक्षा के दौरान इसकी ट्रेनिंग नवोदित डाक्टरों और नर्सों को दी जाती है। केवल ट्रेनिंग पर ही
यह खर्च लाखों में हैं लेकिन डा. डार्विन कौशल के स्टूडेंट रक्षित वशिष्ठ ने यह मैनीकिन इजाद कर लाखों का खर्च नाममात्र रूपयों पर लाकर भविष्य के लिए नई किरण दिखाई है। इसमें खास बात यह है कि रक्षित ने यह कारनाम वेस्ट
सामग्री से किया है। गौर हो कि प्रत्येक वर्ष देश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के कई अंडर ग्रेजुएट्स छात्र शॉर्ट-टर्म स्टूडेंटशिप रिसर्च प्रोग्राम के लिए आवेदन करते हैं, जो एम्स द्वारा मेडिकल अंडरग्रेजुएट्स के बीच शोध के लिए रुचि एवं योग्यता को बढ़ावा देने के लिए आयोजित करवाई जाती है।


कई आवेदकों में से केवल कुछ ही प्रस्तावों को अपने शोध को आगे बढ़ाने का
अवसर मिलता है। वर्ष 2022 में पहली बार एम्स बिलासपुरए हिमाचल प्रदेश के छात्रों ने इसके लिए आवेदन किया था, जिनमें से एक को आगे के शोध के लिए मंजूरी दी गई थी। यह प्रस्ताव तीसरे वर्ष के एमबीबीएस छात्र रक्षित
वशिष्ठ ने अपने गाइड डॉ. डार्विन कौशल (एसोसिएट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ ओटोराइनोलेरिंगोलॉजी) के कुशल मार्गदर्शन में बनाया था। यह शोध भारत में आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण कोरोना काल के दौरान ट्रेकियोस्टोमी की जीवन रक्षक वायुमार्ग प्रक्रिया को सीखने के लिए एक लागत प्रभावी मॉडल मैनिकिन) तैयार करना था। मौजूदा समय में उपलब्ध मॉडल की कीमत लाखों में है, इसकी तुलना में इस मॉडल को दो-चार सौ रुपये में घरेलू सामग्री और लागत प्रभावी विकल्पों का उपयोग कर तैयार किया गया है। ट्रेकियोस्टोमी वायुमार्ग को सुरक्षित करने के लिए श्वासनली को खोलने की प्रक्रिया है जब
ओरल इंटोवेशन (मुंह से पाइप डालने की प्रक्रिया) संभव नहीं है या यह विफल हो जाता है। रोगियों के जीवन को बचाने के लिए ट्रेकियोस्टोमी का अत्यधिक उपयोग कोविड की वृद्धि के दौरान किया गया था। इसलिए, वास्तविक जीवन में
इस स्थिति से निपटने से पहलेए इसमें दक्षता हासिल करना और मॉडल पर इसे पहले से सीखकर आत्मविश्वास हासिल करना महत्वपूर्ण हो जाता है। इस समस्या ने गाइड और उनके छात्र के लिए एक प्रेरणा के रूप में कार्य किया। इस शोध
के द्वारा वर्तमान में उपलब्ध मॉडल की तुलना में अतिरिक्त और बेहतर सुविधाओं के साथ एक लागत प्रभावी मैनिकिन तैयार किया गया ताकि प्रत्येक अंडरग्रेजुएट्स पोस्टग्रेजुएट और साथ ही नर्सिंग छात्र अभ्यास कर के अनुभव हासिल कर सके। डा. डार्विन कौशल ने बताया कि रक्षित वशिष्ठ एमबीबीएस तृतीय वर्ष के छात्र, एम्स बिलासपुर को उत्कृष्टय श्रेणी में
आईसीएमआर.शॉर्ट टर्म स्टूडेंटशिप (एसटीएस) 2022 के अनुमोदन के बाद 50 हजार रुपये की स्कॉलरशिप दी गई है। जो कि एमबीबीएस बच्चों के लिए प्रेरणा और गौरव का विषय है।

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