अंबेडकर भवन अनदेखी का शिकार प्रशासन द्वारा फैंका गया कूड़ा लगे गंदगी के ढेर


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तूफान मेल न्यूज, बिलासपुर।
घुमारवीं शहर की सीर खड्ड की तलहटी पर सरकार द्वारा बनाए गया अंबेडकर भवन अनदेखी का शिकार है। इस भवन की दुर्दशा इतनी भयावह है कि यहां पर सांस लेना भी दूभर है। जर्जर हालात में पहुंच चुका यह भवन कभी भी अप्रिय घटना
को अंजाम दे सकता है। इस अंबेडकर भवन के साथ प्रशासन द्वारा फेंके गए कूड़े और गंदगी के ढेर यहां के वातावरण को दूषित कर रहे हैं। यही नहीं इस भवन के साथ बाजार और आवासीय सुविधा भी है जहां पर लोग बसर करते हैं।
लेकिन इस भवन की लंबे समय तक किसी ने इसकी सुध नही ली है। घुमारवीं

अंबेडकर भवन की हालत को सुधारने के लिए हालांकि अनुसूचित जाति जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक संयुक्त संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष
सेवानिवृत डीएसपी सीता राम कौंडल व अन्य पदाधिकारियों ने स्थानीय विधायक राजेश धर्माणी से भेंट की है लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक हल की किरण नजर नहीं आई है। इस भवन के चारों ओर खिड़कियों के शीशे टूटे हुए हैं। छत से
पंखे गायब हो चुके हैं। भवन के भीतर बिजली की वायरिंग टूट चुकी है। जिससेभी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। उल्लेखनीय है कि 2 मई 2011 इस भवन का
उदघाटन सांसद हमीरपुर संसदीय क्षेत्र अनुराग सिंह ठाकुर ने किया था। इस भवन में कई सरकारी और गैर सरकारी तथा राजनीतिक कार्यक्रम होते रहे हैं।
लेकिन हुक्मरानों ने इस भवन की दशा पर गौर नहीं किया और हालात इस कदर बिगड़ गई है कि इस भवन की हालत जर्जर हो गई है। इस बारे में संयुक्त घर्ष मोर्चा के अध्यक्ष सीता राम कौंडल ने कहा कि जब यहां पर कोई बैठक
का आयोजन करना होता है तो पहले घंटो सफाई करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि नेशनल हाईवे का सारा बारिश का गंदा पानी भवन पर आता है जिससे इस भवन की
नींव कमजोर हो चुकी है। पानी का सही चैनलाइज न होने के कारण यहां पानी खड़ा रहता है जिससे मच्छर मक्खियों का पनपना स्वाभाविक है। इस भवन के
चारों ओर झाड़ियां उगी हुई है। सफाई का यहां पर कोई नामोनिशान नहीं है। शौचालय के नाम पर कोई सुविधा नहीं है। लोगों को मजबूरन खुले में शौच करना
पड़ता है। इस भवन के चारों ओर फैली बदबू से यहां पर बैठना तक मुश्किल हो जाता है। उन्होंने सरकार से इन भवनों के उचित रखरखाव की मांग करते हुए कहा है कि यदि सरकार और तंत्र इन भवनों का रखरखाव करने में असमर्थ है तो
इनकी जिम्मेवारी बाबा साहेब के संगठनों को सौंप दी जाए ताकि बाबा साहेब भवनों केे साथ-साथ बाबा साहेब के नाम की भी गरिमा बनी रहे।

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