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तूफान मेल न्यूज ,दिल्ली।
बिम्ब प्रतिबिम्ब प्रकाशन, फगवाड़ा पँजाब ने गणेश गनी की साहित्य-सम्वाद की पुस्तक ‘जो बात शुरू हुई थी’ हाल ही में प्रकाशित की और विश्व पुस्तक मेले में इसका शानदार लोकार्पण करवाया। हालांकि कवि गणेश गनी दिल्ली नहीं जा पाए। मगर प्रगति मैदान दिल्ली में विश्व पुस्तक मेले में ज़ोरदार दस्तक दी है।
एक ओर प्रसिद्ध कवि मदन कश्यप, आजकल के सम्पादक राकेशरेणु, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के डॉ श्रीप्रकाश शुक्ल, कवि आलोचक डॉ अनिल पाण्डेय ने इस किताब पर बात की तो दूसरी ओर राजेश्वर वशिष्ठ, बलवेन्द्र सिंह ,अखिलेश श्रीवास्तव चमन, अनिरूद्व सिन्हा और देवेंद्र आर्य ने इस पुस्तक को एक बेहतरीन पुस्तक कहा। चर्चित कवि गणेश गनी ने कहा कि यह सौभाग्य है कि दिल्ली में पुस्तक का विमोचन हिंदी के बेहद महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध कवियों के हाथों हुआ। यही साहित्य की ताकत है। गणेश गनी अपनी आलोचना की अलग शैली के लिए प्रसिद्ध हुए हैं। गनी कविताओं की समीक्षा किस्से-कहानियों के माध्यम से करते हैं।
गणेश गनी ने बताया कि पुस्तक में 19 कवियों की कविताओं से गुजरते हुए साहित्य-सम्वाद किया गया है। इस किताब में मेरे प्रिय कवि भी हैं और कुछेक नए कवि भी हैं। वरिष्ठ और प्रसिद्ध कवियों का हमेशा मुझे प्रेम मिला है। पुस्तक में हिमाचल के कवि भी शामिल हैं। कुल्लू की इंदु नवनीत भारद्वाज भी इस पुस्तक में हैं। धरती पर अमरबेल के लिए थोड़ा समय निकाल लेना (कुमार कृष्ण),
साँझ और रात के ठीक बीच की घड़ियां (मदन कश्यप), मन का पीपल होना (विजय विशाल), अंततः जीवन (निरंजन श्रोत्रिय), तुम्हें याद रहेगा ना ? (माया मृग), अंत तक सिर्फ प्रेम चलता है (शिरीष कुमार मौर्य), पुल मोरां (गीता डोगरा), हम खामोश सफ़र पर हैं (निर्मल असो), कविता का जन्म (रश्मि रवि), इंद्रधनुषी उम्मीदें (इंदु भारद्वाज), चाँद तुम मुस्कुराना पृथ्वी के होने तक (अरुण चन्द्र राय), आजकल मैं तुम्हारी हँसी ओढ़ता हूँ (संजय शेफर्ड), नाव का हम क्या करते ( कमल जीत चौधरी ), तुम्हारा होना ऋतुओं की महीन अदाकारी है ( नीतेश मिश्रा ), जो बात शुरू हुई थी ( नवनीत पाण्डेय, विक्रम गथानिया, रोहित कौशिक, मिथिलेश कुमार राय, रवि शंकर सिंह )। पुस्तक का आवरण सिरमौर के उभरते हुए चित्रकार गीत रमौल ने बनाया है।