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सेंकडों लोग बने रहस्यमयी रोशनी के गवाह
तूफान मेल न्यूज ,मणिकर्ण। पार्वती नदी ने अब रोशनी ऊगली है। मणिकर्ण बाजार के समीप पार्वती नदी ने पानी के बीच रोशनी को जन्म दिया है। चांद की तरह रोशनी नजर आ रही है।
सैंकड़ों लोग यहां इस रहस्यमयी रोशनी को देखने पहुंच गए हैं। समाचार लिखे जाने तक यहां पर इस रोशनी को देखने के लिए हजूम उमड़ पड़ा है। बस अड्डे के ठीक सामने खुशी राम उपमन्यु के मकान के पीछे वह रही पार्वती नदी में यह चमत्कार नजर आ रहा है। खुशी राम उपमन्यु ने बताया कि पार्वती नदी के बीचों-बीच में रोशनी चमक रही है। रोशनी से पावती की लहरें उछलती हुई नजर आ रही है और ऐसा महसूस हो रहा है कि यहां जिस स्थान से रोशनी उतपन्न हुई है वहां उथल पुथल हो रही है। अभी तक सत्य का कोई पता नहीं है कि रोशनी उतपन्न होने का क्या कारण है। बहुत सारे लोगों का यह भी मानना है कि इस घाटी में नीलम भी होता है और कयास लगाए जा रहे हैं कि नीलम का कोई टुकड़ा पार्वती में बाहर आया होगा जो रोशनी दे रहा है। उधर ज्योतिषविदों व शास्त्रिविदों का कहना है कि यह एक खगोलीय घटना का हिस्सा हो सकता है। ब्राह्मणविद बाल कृष्ण शर्मा का कहना है कि आज चंद्रमा, शुक्र व ब्रहस्पति एक स्टीक लाइन में एक समय के लिए आएंगे इस समय भी कुछ खगोलीय चमत्कार हो सकते हैं।
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बरिष्ठ पत्रकार,साहित्यकार, एवं लेखक धनेश गौतम का कहना है कि मणिकर्ण घाटी में इस तरह के चमत्कार अलौकिक है। क्योंकि घाटी भरपूर जमीनी खनिजों से भरपूर है। यहां पर जहां भुगर्व में क्रिस्टल स्टोन भरपूर मात्रा में मौजूद है वहीं भुगर्व से निकलने बाले गर्म पानी के चश्में शिव-पार्वती की क्रीड़ा स्थली के इतिहास से जुड़े हैं। लेकिन वैज्ञानिक तथ्यों पर गौर फरमाया जाए तो माना जाता है कि भुगर्व में सल्फर की मात्रा अधिक होने के कारण यहां उबलता गर्म पानी निकलता है। इसके अलावा गौतम का कहना है कि यहां नीलम प्रचुर मात्रा में मिलता है। कारण स्पष्ट है कि नीलम हजारों वर्ष के ग्लेशियर के नीचे धातु बनने की प्रक्रिया है। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी यहां विभिन्न स्थानों पर इस तरह की रहस्यमयी रोशनी उजागर हो चुकी है। कसोल की पहाड़ियां भी रोशनी उगलती रही है और जब जिओलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया ने इसकी जांच की थी तो पता चला था कि भुगर्व में सल्फर की मात्रा अधिक होने के कारण जमीन के अंदर से प्रेशर से क्रिस्टल स्टोन जब बाहर आ रहे थे तो रात के अंधेरे में वे आग की तरह चमक रहे थे और लोग उसे चमत्कार मान रहे थे। धनेश गौतम ने बताया कि इससे पहले घाटी के डीबी बौखरी में भी झरने के बीचों -बीच रोशनी कई सालों तक चमकती रही और इसे नीलम की संज्ञा दी गई थी और कई विदेशी इस नीलम की खोज में यहां पहुंचे थे।