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तुफान मेल न्यूज, कुल्लू
मणिकर्ण घाटी की अधिष्ठात्री माता चोगासना पार्वती जो की बिजली महादेव की पत्नी है का स्वर्गलोक से आने के बाद आज बैशाख की सक्रांति को चोंग गाँव से माता की पालकी माता के मन्दिर छखाहन में ले जाया गया है और देव परम्परा को निभाते हुए माता के सोने चांदी के मोहरे छत्र, सभी आभूषणों को साफ किया गया और देवरथ को सजाया गया . देवरथ बनकर तैयार होकर सभी हरियान पुजारी भक्तों के साथ माता के देवरथ को बीच गाँव मन्दिर में लाया गया. यह परम्परा सदियों से निभाई जाती जा रही है और शाम को देव कारवाई होती है.
सांय काल में जागरा जलाया जाता है. पोष, माघ, फागन, चैत्र महीने में माता का रथ को भंडार गृह में बन्द किया जाता है हर वर्ष इसी बैसाख की सक्रांति को माता के रथ को फिर से सजाया जाता है. आपको बता दें सक्रांति से माता के मेले शुरू हो जाते है.
चोंग गाँव, जल्लुग्रां में धूमधाम से वीरशु मेले मनाये जाते है. माता चोगासना पार्वती के दर्शन के लिए जनसेलाब उमड़ता है. बैसाख के साजे से माता का रथ दिसम्बर महीने तक भक्तों को दर्शन के लिए मन्दिर में विराजमान रहता है. गौर रहे की कल माता का रथ हरियानो ,देवलुओं के साथ जल्लग्रां के लिए जायेगा. जल्लुग्रां में कल वीरशु मेला होता है माता चोगासना हर तीसरे वर्ष जल्लुग्रां गाँव जाती है और वहाँ वीरशु मेले का आयोजन होता है. गाँव की बहु बेटियां सजधज कर माता को धुप देती है और आशीर्वाद लेती है. माता के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है. माता भी सभी की मनोकामना पूर्ण करती है.