सशक्त ग्रामीण अर्थव्यवस्था से आत्मनिर्भर होता हिमाचल

Published On:
सशक्त ग्रामीण अर्थव्यवस्था से आत्मनिर्भर होता हिमाचल

महात्मा गांधी का मानना था कि अगर हमारे गांव समर्थ है तो भारत मजबूत है। महात्मा गांधी के पदचिन्हों पर चलते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने गांवों और ग्रामीणों को सुदृढ़ करने की दृष्टि से अनेक कल्याणकारी कदम उठाए हैं।

गांव और गांव से जुड़े लोगों की समस्याओं को जानने के लिए मुख्यमंत्री ने उनके साथ सीधा संवाद कायम किया है। मुख्यमंत्री प्रशासन को गांव के द्वार ले गए हैं। सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम से मुख्यमंत्री ग्रामीण लोगों के साथ रहकर उनके दुख दर्द को जान रहे हैं।
गांवों के लोगों के लिए यह कल्पना से परे था कि प्रदेश का मुखिया उनके घर में आकर रात्रि ठहराव कर रहे हैं। पारंपरिक वेशभूषा में लोगों के साथ मुख्यमंत्री उन्ही के रंग में रंग जाते हैं। उनकी मनोदशा और संघर्ष को जानकर मुख्यमंत्री गांवों के उत्थान की दिशा में कार्य योजना तैयार कर रहे हैं।
डोडरा क्वार, कुपवी के टिक्कर गांव, कुल्लू के शरची में मुख्यमंत्री ने स्थानीय लोगों के साथ रहकर उनकी समस्याओं को जाना। प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में स्थानीय लोगों के साथ रात्रि ठहराव कर मुख्यमंत्री यह रेखाकिंत कर रहे हैं कि इन क्षेत्रों से जुड़ी समस्याओं और विकास कार्यों को सरकार प्राथमिकता प्रदान कर रही है।
अपनी शालीनता और सरलता से मुख्यमंत्री ग्रामीण लोगों के मन में अमिट छाप छोड़ रहे हैं। ग्रामीण लोेगों के साथ उन्ही के परिवेश में रहकर मुख्यमंत्री गांव के लोगों के जीवन को सरल बनाने के लिए नीतियों और योजनाओं को साकार रूप दे रहे हैं।
जन सेवा को सर्वोपरि रखते हुए मुख्यमंत्री ने दुर्गम पांगी घाटी में राज्य स्तरीय हिमाचल दिवस का आयोजन करवा कर यह संदेश दिया कि हिमाचल की इस विकास यात्रा में हर हिमाचलवासी सहभागी है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त कर आत्मनिर्भर हिमाचल की संकल्पना को साकार किया जा सकता है। प्रदेश सरकार के बजट में ग्रामीण विकास को केंद्र में रखकर योजनाएं लाई गई।
सुखी ग्राम-खुशहाल किसान को ध्येय मानकर मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक खेती पद्धति से उगाई गई मक्की के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 30 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये प्रतिकिलो ग्राम और गेहूं के समर्थन मूल्य 40 रुपये से बढ़ाकर 60 रुपये प्रतिकिलो ग्राम किया है।
हिमाचल देश का पहला राज्य है जिसने यह नीतिगत निर्णय लिया है। सरकार के इन प्रयासों का उद्देश्य राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा प्रदान करना है। वर्तमान में प्रदेश में 1.98 लाख किसान और बागवान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। इन किसानों को लाभान्वित करते हुए 1500 से अधिक किसानों से प्राकृतिक पद्धति से तैयार 400 मीट्रिक टन मक्की की खरीद की है।
प्राकृतिक खेती से तैयार खाद्यान्नों को बढ़ावा देने के साथ-साथ सरकार ने बाजार में हिमभोग-हिम मक्की आटे के ब्रॉन्ड को लॉन्च किया है। पांगी को पहला प्राकृतिक खेती उपमंडल घोषित किया गया है।
मुख्यमंत्री की यह परिकल्पना है कि हिमाचल देश में केवल दूध उत्पादन तक सीमित न रहे बल्कि हिमाचल डेयरी क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाए।
इस संकल्प को पूरा करने के लिए हिमाचल दूध पर एमएसपी देने वाला देश का पहला राज्य है। गाय के दूध के समर्थन मूल्य को 32 रुपये से बढ़ाकर 51 रुपये और भैंस के दूध के समर्थन मूल्य को 47 से बढ़ाकर 61 रुपये प्रतिलीटर किया गया है।
पशुपालकों को 2 रुपये प्रतिलीटर परिवहन सब्सिडी भी दी जा रही है। डेयरी क्षेत्र को संबल प्रदान करते हुए हिमगंगा योजना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
दतनगर में 50 हजार प्रतिदिन क्षमता वाले मिल्क प्रोसेसिंग प्लाट से 20 हजार दूध उत्पादकों को लाभ मिल रहा है।
जिला कांगड़ा के ढगवार में 1.50 लाख से 3 लाख लीटर प्रतिदिन क्षमता वाले ऑटोमेटिक दूध प्रसंस्करण और दूध उत्पाद प्रसंस्करण प्लाट का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। कुल्लू, नाहन, नालागढ़, ऊना और हमीरपुर में 50-50 हजार लीटर प्रतिदिन क्षमता वाले मॉडल टैक्नोलॉजी के मिल्क प्रोसेसिंग प्लाट स्थापित किए जाएंगे।
हिमाचल की पहचान सेब राज्य से फल राज्य के रूप में स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री प्रदेश में विभिन्न प्रकार के फलों के उत्पादन को विस्तार प्रदान कर रहे हैं। प्रदेश में 1292 करोड़ रुपये की एचपी शिवा परियोजना के तहत बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी, सिरमौर, सोलन और ऊना के 28 विकास खंडों में  6 हजार हैक्टेयर को बागवानी के तहत लाने के दृष्टिगत विविध कार्य किए जा रहे हैं।
प्रदेश में वर्ष 2024-25 में 37.60 हजार मीट्रिक टन फलों को प्रदेश सरकार ने समर्थन मूल्य पर खरीदा है। बागवानों को सीए स्टोर की सुविधा प्रदान की जा रही है। रोहडू़ में 29.22 करोड़ रुपये से निर्मित अत्याधुनिक सीए स्टोर बागवानों को समर्पित किया गया है।
टैक्नोलॉजी के युग में कृषि एवं बागवानी क्षेत्र के उत्पादों के सुरक्षित परिवहन के लिए ड्रोन टैक्सी सेवाएं उपलब्ध करवाने की योजनाएं तैयार की गई है।
ग्रामीण लोगों के जीवन में खुशहाली लाने के मुख्यमंत्री के प्रयासों की झलक अब देखने को मिल रही है। अच्छे दामों पर अपनी मेहनत की फसल को बिकता देख किसानों के चेहरों को खुशी यह बयां कर रही है कि सशक्त ग्रामीण अर्थव्यवस्था से आत्मनिर्भर हिमाचल के सपने को साकार किया जा रहा है।

संबं​धित खबरें