तुफान मेल न्यूज, कुल्लू।
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बिलासपुर–मनाली–लेह रेलवे परियोजना में तुर्की कंपनी की भूमिका और प्रस्तावित मार्ग के पुनर्विचार हेतु सामूहिक जनचेतना अभियान शुरू कर दिया है। आज यहां एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए होटल एसोसिएशन मनाली के चीफ एडवाइजर वेदराम ठाकुर ने कई सवाल उठाए हैं।

उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि जिस तुर्की की कंपनी ने मनाली-लेह रेल मार्ग का सर्वे किया है उसे तुरंत प्रभाव से स्थगित किया जाए। उन्होंने कहा कि यह सुरक्षा की दृष्टि से गंभीर मामला है। हमारा दुश्मन देश हमारी सीमावर्ती क्षेत्र में सर्वे कैसे कर सकता है।

उन्होंने कहा कि यह सर्वे भी तुर्किए की कंपनी द्वारा द्वेष पूर्ण भाव से किया गया है और यहां की बागबानी को भी नष्ट कर दिया है और सर्वे जानबूझ कर जिगजैग तरीके से बागीचों व होटलों के बीच से किया गया है। उन्होंने कहा कि हम प्रेस वार्ता के माध्यम से एक अत्यंत गंभीर और राष्ट्रीय महत्व के विषय पर सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं।

बिलासपुर–मनाली–लेह रेलवे परियोजना के वर्तमान मार्ग और इसमें सम्मिलित विदेशी (तुर्की) कंपनी की भूमिका संदेह पैदा कर रही है। इस परियोजना का प्रारंभिक सर्वे युकसील प्रोजे नामक तुर्की की कंपनी द्वारा किया गया, जो कि एक ऐसा देश है जो पाकिस्तान का समर्थन करता है और कश्मीर पर भारत विरोधी बयान देता रहा है। यह परियोजना हिमालयी क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन को गंभीर रूप से प्रभावित करेगी। अनुमान है कि एक लाख से अधिक पेड़ों की कटाई संभावित है, जिससे जैव विविधता, जल स्रोतों और वनों का स्थायी विनाश हो सकता है। प्रस्तावित मार्ग उपजाऊ बागानों, खेतों और ग्रामीण बसावटों से होकर गुजरता है। यह क्षेत्र देश के सबसे बड़े सेब उत्पादन क्षेत्रों में से एक है। बागवानी पर सीधा प्रभाव, हज़ारों परिवारों की रोज़ी-रोटी को खतरे में डाल देगा।
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*पर्यटन अर्थव्यवस्था की क्षति*:
कुल्लू–मनाली देश का प्रमुख पर्यटन क्षेत्र है। इस परियोजना से निर्माण शोर, सुरंगें, और कंपन के चलते प्राकृतिक सौंदर्य और शांति नष्ट होगी, जिससे पर्यटन में गिरावट आएगी और छोटे व्यवसाय, होटल, टैक्सी ऑपरेटर, और हस्तशिल्प पर गहरा असर पड़ेगा। प्रेस वार्ता में एडवोकेट रेवत राणा, ज्ञान चंद और एडवोकेट ललित सिंह ठाकुर उपस्थित रहे।उन्होंने मांग की है कि उक्त कंपनी की भूमिका तत्काल प्रभाव से स्थगित की जाए। राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारतीय एजेंसियों द्वारा पूर्ण रूप से सर्वे करवाया जाए, जिसमें स्थानीय आजीविका और पर्यावरण की रक्षा को प्राथमिकता मिले और पूर्व जन प्रतिनिधियों, पंचायतों और प्रभावित समुदायों की पारदर्शी जन सुनवाई आयोजित की जाए।हम हिमाचल प्रदेश के लोग विकास विरोधी नहीं हैं, परंतु हम अंधविकास के खिलाफ हैं। हमारा निवेदन है कि सरकार इस परियोजना को जनसंवेदनशील, पर्यावरणीय दृष्टि से संतुलित और राष्ट्रहित में बनाए।
सामाजिक मीडिया के लिए कैप्शन या टैगलाइन
:*- जो देश भारत विरोधी है, उसकी तुर्की कंपनी हमारे सीमावर्ती क्षेत्र का सर्वे कैसे कर सकती है?
”- “1 लाख से अधिक पेड़ खतरे में। हजारों ज़िंदगियाँ प्रभावित। पर्यटन और बागवानी पर संकट। हमारा भविष्य तय कर रही है एक तुर्की कंपनी, जो भारत विरोधी रुख रखती है?
यह विकास नहीं — यह विनाश है।”- “राष्ट्रीय सुरक्षा कोई समझौता नहीं है। संवेदनशील क्षेत्रों में विदेशी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं।”
“जब तुर्की कश्मीर पर पाकिस्तान का समर्थन करता है, तो उसकी कंपनी हमारी रेलवे योजना कैसे बना सकती है?”
“संवेदनशील भू-भाग, रणनीतिक क्षेत्र और विदेशी कंपनी? अब पुनर्विचार ज़रूरी है।”