देखें वीडियो,,,,,बंजार की चार पंचायतों ने बनाया मॉडल प्लान फिर टीसीपी क्यों:राजेंद्र चौहान, पंचायतीराज अधिनियम 14 व 13 एच के अंतर्गत पंचायतों को मिलता है टीसीपी अधिकार

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तुफान मेल न्यूज,कुल्लू।

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बंजार की चार पंचायतों ने मॉडल प्लान ( आदर्श योजना) तैयार कर दिया है। यह मॉडल प्लान पंचायतीराज अधिनियम 14 व 13 एच के अंतर्गत तैयार कर दिया है। फिर भी सरकार ने बंजार की 20 पंचायतों पर टीसीपी लागू कर दिया है जिसमें यह चार पंचायतें भी शामिल है। यह बात यहां प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए सहारा के निदेशक राजेंद्र चौहान ने कही।

उनके साथ पूनम वर्मा प्रधान खाड़ागाड़,नीलम कुमारी प्रधान सजबाड़,प्रेम लता प्रधान कलवारी,रामेश्वरी ठाकुर प्रधान सरची,पदम् सिंह मुख्य सलाहकार पर्यटन विकास समिति सोझा,हरी सिंह ठाकुर पूर्व प्रधान सरची भी शामिल रहे। उन्होंने कहा कि उपरोक्त अधिनियमों के तहत जिन पंचायतों ने मॉडल प्लान तैयार किया हो वहां पर टीसीपी लागू नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कहा किप्रदेश की घाटियों में बढ़ते बेतरतीब निर्माण और 2023 आपदा से सबक लेते हुए बंजार खंड की कुछ प्रगतिशील पंचायतें पंचायती राज अधिनियम 1994 के धारा 14 और 13(h) के तहत भवन निर्माण विनियमन की ओर बढ चली हैं। निर्माण कार्य विनियमन हेतु आदर्श योजना विकसित की गई और पंचायत समिति अध्यक्ष द्वारा दिनांक 06/01/2025 को सर्वसम्मति से स्वीकृत व अनुमोदित किया जा चुका है। यह माननीय उच्च न्यायालय के कुसुम बाली बनाम हिमाचल सरकार के 13 जनवरी 2023 के आदेशों का भी पालन होगा। इसमें सभी पंचायतों को पंचायती राज अधिनियम के तहत आदर्श योजना बनाने को निर्देशित किया गया था। न्यायालय ने प्रदेश में चल रहे अनियिमित और जोखिम भरे निर्माण पर कडा रुख करते हुए सम्बंधित विभागों को फटकार भी लगायी थी। तीर्थन और जीभी घाटी में तेजी से बढ़ते अनिमियित निर्माण कार्य को देखते हुए यह पहल की गई है गौरतलब है की यहाँ तीर्थन नदी किनारे तेजी से, बेतरतीब वाणिज्यिक निर्माण गतिविधियों चल रही हैं। पर्यटन इकाइयों द्वारा नदी किनारे ठोस कचरा डंप करने की घटना और तीर्थन नदी के तल के अन्दर चल रहे निर्माण कार्य भी चिंताजनक हैं। मौजूदा समय में शाइरोपा में जीएचएनपी (GHNP) कार्यालय के पास तीर्थन नदी में निर्माणाधीन एक विविदित इमारत के खिलाफ क्षेत्र में भारी विरोध भी हो रहा है। शरची पूर्व प्रधान हरी सिंह के अनुसार ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के एकोजोन में स्थित यह क्षेत्र भौगौलिक और पारिस्थितिकी दृष्टि से संवेदनशील है और अनियिमित निर्माण से बेवजह जोखिम रहेगा जो लम्बे समय में पर्यटन को भी नुकसान कर सकता है। इस तरह के बेतरतीब विकास से देव समाज में सांस्कृतिक मूल्यों और पवित्र नदी-नालों के पारिस्थितिक स्वास्थ्य पर असर पड़ने पर जन मानुष में भारी रोष भी है। शोझा पर्यटन विकास समिति के वरिष्ठ सलाहकार व jalori tunnel संघर्ष समिति के महासचिव पदम् सिंह का कहना है की यह अपनी तरह का प्रदेश में पहला मामला है जब पंचायतों ने एकजुट होकर बेतरतीब निर्माण से निपटने के लिए मॉडल प्लान लागू किया है! घाटी के लोगों को टीसीपी विभाग द्वारा पंचायत की शक्तियों को कमज़ोर करने की भी शंका है। इसलिए पंचायत राज अधिनियम 1997 की धारा 38 के तहल पंचायत समिति से अनुमोदित कर दिया है! उन्होंने पंचायत समिति अध्यक्षा श्रीमती लता देवी सहित पंचायत प्रधान साज़बाड कुमारी नीलम, खाडागाड़ प्रधान पूनम वर्मा, शरची प्रधान रामेश्वरी ठाकुर जी का उपरोक्त आदर्श योजना को लागू हेतु अगुवाई करने के लिए आभार प्रकट किया।सहारा संस्था के निर्देशक राजेंदर चौहान कहते है इससे पूर्व भी जीभी व तीर्थन घाटी की 12 पंचायतों ने 2021 में ग्राम सभा स्तर पर प्रस्ताव पारित कर एक द्दृष्टिपत्र (विजन डॉक्यूमेंट) भी पारित किया था जो मुख्य सचिव सहित जिलाधीश और सम्बंधित अधिकारियों के साथ साझा किया गया था। दृष्टिपत्र के अनुसार ग्राम सभा कसोल जैसे पर्यटन मॉडल के विपरीत, पर्यटन विकास को एक सतत और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील दिशा में ले जाना चाहते हैं। और अनियिमित रूप से बढ़ते पर्यटन के चंलते देव समाज में पवित्र तीर्थन नदी को दूषित और अन्य देव स्थलों की पवित्रता को परंपरागत तौर पे बनाये रखने हेतु यह पहल की गई है।

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