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तुफान मेल न्यूज, कुल्लू। सृष्टि के निर्माता एवं पालनहार देव श्रीबड़ा छमाहूं स्वर्ग प्रवास पर चले गए हैं। वे तीन माह तक स्वर्ग में रहेंगें और इंद्र देव की सभा में प्रमुख देवी-देवताओं के साथ सृष्टि की भलाई के लिए मंथन करेंगें।
देव श्रीबड़ा छमाहूं सृष्टि उत्पन्न के प्रथम दिन नव संवत को धरती लोक पर लौटेंगे और लोगों को दर्शन देँगे। इस दौरान देवता का रथ कोटला कोठी में विराजमान रहेगा और हर दिन पूजा आराधना होती रहेग।
अन्य देवी-देवता जहां एक महीने पहले स्वर्ग प्रवास पर जाते हैं वहीं देव श्रीबड़ा छमाहूं दियाली के दूसरे दिन स्वर्ग प्रवास पर जाते हैं और नव संवत को धरती पर लौटते हैं। खास बात यह है कि अन्य देवी-देवता जहां एक माह बाद ही स्वर्ग से लौटते हैं वहीं देव श्रीबड़ा छमाहूं सिर्फ नव संवत को ही प्रकट होते है। यही नहीं अन्य देवी-देवता जब स्वर्ग प्रवास पर जाते हैं तो सभी कपाट बंद हो जाते हैं और देव रथों को भी ढक दिया जाता है और किसी भी प्रकार की पूजा आराधना इस अवधि में नहीं होती है।
लेकिन देव श्रीबड़ा छमाहूं के कपाट बंद नहीं होते और न ही पूजा-आराधना बंद होती है। देवता का रथ कोठी में विराजमान होता है और हर दिन नियमानुसार पूजा व आरती भी होती है। इस दौरान देवता के दर्शन भी आम दिनों की तरह होते हैं। देव श्रीबड़ा छमाहूं सृष्टि के निर्माता एवं रचयिता है इसलिए मान्यता है कि सृष्टि कभी सोती नहीं है,इसलिए देव श्रीबड़ा छमाहूं के रथ को अन्य देव रथों की तरह बंद नहीं किया जाता। सृष्टि के निर्माण का पूर्ण दिवस नव संवत है और इसीलिए नव संवत को ही देव श्रीबड़ा प्रकट होते हैं। नव संवत के दिन देवता के रथ को सजाया जाएगा और भव्य आयोजन होगा।
इस दिन देवता की जलेब सर्व प्रथम लाव लश्कर के साथ चवाली माता जाती है और वहां 44 हजार योगनियों के साथ मिलन के वाद कोटला गांव जलेब बापस आती है और यहां भव्य आयोजन व देवता के स्वागत के साथ नव संवत मेले का आयोजन होता है। इसके बाद दूसरे दिन देवता गांव फगवाना में जाते हैं और यहां भी सृष्टि के प्रकटीकरण व सृष्टि के रचयिता देव श्रीबड़ा छमाहूं का उत्सव मनाया जाता है। इसके बाद देवता अपनी हारयान क्षेत्र में दौरा करेंगे। सनद रहे कि देव श्रीबड़ा छमाहूं नय रथ में सवार हुए हैं और देवता की परिक्रमा भी अभी शेष बची हुई है। बताया जा रहा है कि देवता नव वर्ष में यह परिक्रमा भी पूरी करेंगें।