विक्रमादित्य सिंह व कंगना रणौत के बीच रोचक होगा मुकाबला,मंडी सीट पर रहा है राज परिवार कब्जा


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तूफान मेल न्यूज,कुल्लू। अब मंडी लोकसभा सीट देश की हॉट सीट बन गई है। बालीबुड अभिनेत्री कंगना रणौत को भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारकर इस सीट को हॉट सीट बनाया है। वहीं अब कांग्रेस ने प्रदेश के युवा नेता लोकनिर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह को इस सीट से लगभग तय कर मुकाबला रोचक बना दिया है। विक्रमादित्य सिंह छह बार प्रदेश के रहे मुख्यमंत्री व केंद्र में रहे केंद्रीय मंत्री वीरभद्र सिंह के पुत्र हैं। वीरभद्र सिंह वर्तमान मंडी व तत्कालीन महासू सीट से 27 वर्ष की आयू में एमपी बने थे। उसके बाद वीरभद्र सिंह ने राजनीति में पीछे मुड़कर नहीं देखा और छह बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और कई बार विपक्ष की भूमिका निभाई। हालांकि विक्रमादित्य सिंह के नाम की घोषणा अभी अधिकारिक रूप से नहीं हुई है, लेकिन उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने पहले ही घोषणा कर दी है कि कंगना की मांग पर हम नोजवान उम्मीदवार विक्रमादित्य सिंह को चुनावी मैदान में उतार रहे हैं। मुकेश अग्निहोत्री ने चुटकी लेते हुए कहा है कि कंगना ने मांग की थी कि कांग्रेस को युवा को मौका देना चाहिए और हम युवा उम्मीदवार ही भेज रहे हैं। लिहाजा कांग्रेस ने एक एक बार फिर राज परिवार पर ही दांव खेला है। राज परिवार के चीफ रहे पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के राजनीतिक इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए तो उन्होंने अपने 60 वर्ष के राजनीतिक सफर में 14 बार चुनाव लड़ने का रिकार्ड बनाया।

छह बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रह चुके वीरभद्र सिंह ने 1962 से महासू, शिमला, लोकसभा क्षेत्र से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। पहली बार महासू से चुनकर तीसरी लोकसभा के सदस्य बने। 1967 में इसी संसदीय क्षेत्र से दूसरी बार सांसद चुने गए। इसके बाद शिमला लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने पर वीरभद्र सिंह ने 1971 में मंडी लोस क्षेत्र को अपनी कर्मभूमि चुना। उनके गृह जिला शिमला का रामपुर विधानसभा क्षेत्र इस संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है।
यहां से सांसद चुने जाने के बाद वह केंद्र में 1976 में उप नागरिक उड्डयन मंत्री बने। 1977 में जनता पार्टी के गंगा सिंह ठाकुर के हाथों हार का सामना करना करना पड़ा। 1980 में हार का बदला लेकर लोकसभा में फिर से पहुंचे। केंद्र में उद्योग राजमंत्री बने। यहीं से वीरभद्र सिंह की किस्मत का सितारा चमका। कांग्रेस हाईकमान ने रामलाल ठाकुर को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाया और वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री बनाकर दिल्ली से हिमाचल वापस भेजा। इसके बाद उन्होंने पीछे मुडक़र नहीं देखा।
पांच बार सांसद चुने पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह
वीरभद्र सिंह 1983 से 1990, 1993 से 1998-2003 से 2007 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 2007 में प्रदेश की सत्ता से बाहर होने के बाद वीरभद्र सिंह ने दोबारा मंडी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा। भारी मतों से जीतकर हासिल कर फिर से सांसद चुने गए और मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल में इस्पात मंत्री बने। इसके बाद लघु एवं मझौले उद्यम मंत्रालय का जिम्मा मिला। 2012 में केंद्रीय मंत्री पद से त्यागपत्र दिया और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने। उनके नेतृत्व में 2012 का विधानसभा चुनाव लड़ा गया। कांग्रेस पार्टी ने दोबारा सत्ता में वापसी की और वह छठी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह भी तीन बार मंडी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं और वर्तमान में सांसद हैं। लेकिन अब उनके पुत्र को यह जिम्मेदारी मिलने बाली है और मुकाबला टफ है। एक तरफ मोदी लहर और दूसरी तरफ बालीबुड ग्लैमर कंगना रणौत। अब देखना यह है कि ऊंट किस करवट बैठता है।

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