सरकार को लाभकारी मूल्य करने चाहिए तय
तूफान मेल न्यूज,कुल्लू। हिमाचल के भेड़ पालक किसान वेहद परेशानी से गुजर रहे हैं। यहां के भेड़ पालक किसानों को ऊन के दाम नहीं मिल पा रहे हैं,जिस कारण किसानों को ऊन नालों में फेंकनी पड़ रही है। जिला की कुल्लू व मंडी सराज में ऐसी कई घटनाएं देखने को मिली है जहां भेड़ पालक किसानों ने ऊन को दाम न मिलने के कारण नाले में फैंक दिया है। उधर इस मामले को लेकर पूर्व मंत्री एवं सहकारिता आंदोलन के अग्रदूत सत्य प्रकाश ठाकुर भी इस गंभीर समस्या को लेकर चिंतित है। उन्होंने कहा है कि यह वेहद चिंता की बात है कि हिमाचल में भेड़ पालकों को ऊन के दाम न मिलने से उन्हें ऊन नाले में फैंकनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि भेड़ की ऊन पहाड़ी क्षेत्र की आर्थिकी का आधार रही है। ऊन से यहां के लोग अपना जीवन यापन करते रहे हैं और घर की जरूरतों को पूरा करते रहे हैं। ऊन से ही तन को कपड़े व पेट को रोटी मिलती रही है लेकिन वर्तमान समय में यहां ऊन की बेकद्री हैरान कर देने बाली है। पहाड़ी जीवन को ऊन ने ही संभारा है। घर में कंबल से लेकर तन में पहनने के कपड़ों तक की जरूरत ऊन पूरा करती रही है। इसके अलावा बुनकर व हरथकरघा उद्योगों को भी ऊन ने ही यहां तक पहुंचाया है। लेकिन आज ऊन की मार्केटिंग न होना वेहद चिंता जनक है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि सरकार को ऊन के लाभकारी दाम तय करने चाहिए और इस पर आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे पहाड़ी क्षेत्र के भेड़ पालक किसानों की आर्थिकी मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि यहां की ऊन की उच्चतम क्वालिटी पर भी काम होना चाहिए। बताया जा रहा है कि भेड़ पालक किसानों के पास ऊन के भंडार पड़े हैं लेकिन दाम न मिलने से वे ऊन को नष्ट करने के लिए विवश हैं।