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तूफान मेल न्यूज,कुल्लू। परियोजना प्रभावित पंचायतों में अब ग्राम पंचायत कोटला व चकुरठा के शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है। लारजी में आयोजित सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम में यह मामला प्रमुखता से उठा। गांव वासियों व पंचायत ने मामला उठाया कि जिन पंचायतों की पहाड़ियों के नीचे टनले व पावर हाउस का निर्माण हुआ है उससे ग्राम पंचायत कोटला व चकुरठा का पूरा भूगौलिक क्षेत्र जर्जर हुआ है और भूगर्भ में उठी तरंगों के कारण इन पंचायतों की पहाड़ियों का सारा पानी नीचे की तरफ भूगर्भ में रिस गया है। जिस कारण दोनों पंचायतों के पानी के प्राकृतिक स्त्रोत पूरी तरह से सूख चुके हैं और यहां की वनस्पति तबाह हुई है। लेकिन इन पंचायतों को प्रभावित पंचायतों में नहीं लिया गया है और न ही उन्हें प्रभावित होने का फायदा मिल रहा है। सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम में उठे इस मामले को जिला प्रशासन व सरकार ने गंभीरता से लिया है और इस पर कार्रवाई करने के आदेश भी दिए हैं। गौर रहे कि पार्वती परियोजना चरण तीन का पावर हाउस लारजी पंचायत के बनाहू नामक स्थान के भूगर्भ में बनाया गया है।
यही नहीं पहाड़ी के अंदर पावर हाउस के अलावा कई टनलों का भी निर्माण हुआ है। लारजी पंचायत की जिस पहाड़ी में कई टनलों के अलावा हेड रेस टनल सहित जहां पावर हाउस बना है उसी पहाड़ी के टॉप रेंज में ग्राम पंचायत कोटला व चकुरठा पड़ते हैं और यहीं पर पानी के प्राकृतिक जल स्त्रोत थे जो पूरी पंचायतों के सभी गांवों की प्यास बुझाते थे। लेकिन प्रोजेक्ट के इस कार्य से पूरी पहाड़ी प्रभावित हुई है और पानी के प्राकृतिक जल स्त्रोत मिट चुके हैं। उस समय यह तर्क देकर इन पंचायतों को प्रभावित पंचायतों से बाहर रखा गया कि टनले व पावर हाउस लारजी पंचायत के भूगर्भ में है न कि कोटला व चकुरठा पंचायतों के। इसके बाद यह मामला उछला भी था और जब सर्वे हुआ तो सिर्फ कोटला पंचायत के लौल गांव को इसमें लिया गया था कि इस गांव के नीचे ही टनल पहुंची है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि लौल गांव पहाड़ी पर स्थित है और इससे सिर्फ लौल गांव ही नहीं बल्कि पूरी पहाड़ी प्रभावित हुई है जो कोटला व चकुरठा में फैली हुई है और लारजी पंचायत की पहाड़ी पर जहां लौल व पढारणी गांव स्थित है वहीं पहाड़ी की दूसरी तरफ इन दोनों पंचायतों के गांव बसे हैं। लिहाजा पहाड़ी के एक तरफ के गांव व पंचायतें प्रभावित पंचायतों में लिए गए हैं और दूसरी तरफ के गांव प्रभावित पंचायतों में नहीं लिए गए हैं। जबकि प्रभावित क्षेत्र में पूरी पहाड़ी लेनी चाहिए थी। बहरहाल यह मामला जब सरकार गांव के द्वार उछला है तो अब इन पंचायतों का रास्ता प्रभावित पंचायतों में शामिल होने पर साफ हो गया है।
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मेरे ध्यान में यह मामला पहले नहीं आया। सच में पहाड़ी पर बसी पंचायतें प्रभावित हुई है। इसका पूरा खाका तैयार करके दोनों पंचायतों को प्रभावित पंचायतों में शामिल किया जाएगा। आशुतोष गर्ग डीसी कुल्लू
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प्रभावित पंचायतों को सुविधा से दूर रखना ठीक नहीं है। शीघ्र इन पंचायतों को प्रभावित पंचायतों में शामिल किया जाए।