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वर्ष 2018 में जीएचएनपी को देशभर की सैंक्चुअरी में मिला था पहला स्थान, अब होगा पुनः मूल्यांकन
स्थानीय हितधारकों और पंचायत जनप्रतिनिधियों के साथ शाईरोपा में बैठक का आयोजन
पार्क क्षेत्र के प्रबंधन, संरक्षण और चुनौतियों पर बैठक में हुई चर्चा परिचर्चा
तूफान मेल न्यूज, बंजार
हिमाचल प्रदेश जिला कुल्लु पश्चमी हिमालय के सुदूर क्षेत्र बंजारकी तीर्थन और सैंज घाटी में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क को वर्ष 2014 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया। यह नेशनल पार्क भारत के बहुत ही खूबसूरत नेशनल पार्कों में से एक है। वर्ष 2018 में भारतीय वन्य जीव संस्थान द्वारा करवाए गए सर्वे में इस नेशनल पार्क को देश भर की सैंक्चुअरी में पहला स्थान हासिल हुआ था। भारत सरकार द्वारा गठित प्रबन्धन प्रभावकारिता मूल्यांकन कमेटी अब चार साल के बाद इस पार्क का पुनःआकलन करेगी।
इसी सिलसिले में पंजाब सरकार वन विभाग से सेवानिवृत्त पीसीसीएफ विद्या भुषण कुमार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय टीम जिसमें बल्चर और रैपटन के विशेषज्ञ डॉक्टर विभवु कुमार और वन्य जीव संस्थान के वैज्ञानिक डा. सल्वाडोर लिंगदोह शामिल है। आजकल यह टीम ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क तीर्थन रेंज शाईरोपा में पहुंची है।
इस टीम द्वारा एक बार पुनः ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क की नए सिरे से रैंकिंग की जा रही है। यह टीम करीब एक सप्ताह तक तीर्थन और सैंज परिक्षेत्र का दौरा करेगी जो पार्क क्षेत्र में हुए पर्यावरण परिवर्तन, मानव दखल, समुदाय की सहभागिता, पर्यटन, पार्क के प्रबंधन, संरक्षण और चुनौतियों पर अपनी रिर्पोट तैयार कर रही है।
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क की तीर्थन रेंज शाईरोपा में मंगलवार को एमईई टीम के सदस्यों ने पार्क प्रबन्धन के अधिकारिओं, कर्मचारियों, स्थानीय हितधारकों, स्वयं सहायता समूहों, पंचायत जन प्रतिनिधियों और पर्यटन कारोबारियों के साथ एक बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में जीएचएनपी के वन मण्डल अधिकारी एन.पी भरोट, एसीएफ हंस राज ठाकुर, वन परिक्षेत्राधिकारी तीर्थन परमानन्द, तीर्थन सरंक्षण एवं पर्यटन विकास एसोसिएशन के प्रधान वरुण भारती, हिमालय इको टूरिज्म कॉपरेटिव सोसायटी के प्रघान केशव राम ठाकुर, ग्राम पंचायत पेखडी की प्रघान पुष्पा देवी, ग्राम पंचायत तुंग के प्रघान घनश्याम ठाकुर, ग्राम पंचायत कंडीधार के उप प्रधान मोहिंद्र सिंह, ग्राम पंचायत पेखड़ी के उप प्रधान वीरेन्द्र भारद्वाज, ग्राम पंचायत नोहंडा के पूर्व प्रघान स्वर्ण सिंह ठाकुर और ग्राम पंचायत मशियार के पूर्व उप प्रधान ठेवा राम विषेष रूप से उपस्थित रहे।
गौरतलव है कि ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क का क्षेत्रफल करीब 765 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां पर अद्वितीय प्राकृतिक सौन्दर्य और जैविक विविधिता का अनुपम खजाना भरा पड़ा है। इस नेशनल पार्क का महत्व यहां पाई जाने वाली दुर्लभतम जैविक विविधता से ही है। वन्य जीव हो या परिन्दा, चिता, भालू, घोरल, ककड़, जेजू राणा, मोनाल सरीखे कई परिन्दे व जीवजन्तु और वन वनस्पति औषधीय जड़ी बूटियां यहां मौजूद है। इस पार्क की विशेषता यह भी है कि यहां पर वन्य जीवों व परिन्दों की वे प्रजातियां आज भी पाई जाती है जो समूचे विश्व में दुर्लभ होने के कगार पर है। बात चाहे वन्य प्राणियों की हो चाहे परिन्दों की हो या औषधिय जड़ी बूटियों की हो, यह पार्क क्षेत्र हर प्रकार के अनुसंधान कर्ता, प्रकृति प्रेमियो, पर्यटकों और ट्रैकरों को लुभा रहा है।
भारतीय वन्य जीव संस्थान की मैनेजमेंट इफेक्टिवनेस इवेल्यूएशन कमेटी के सदस्य विद्या भूषण कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि कि बहुत लम्बी प्रक्रिया के बाद इस नेशनल पार्क को विश्व धरोहर का दर्जा मिला है। भारत के सभी नेशनल पार्कों का एक बार पुनः मूल्यांकन किया जा रहा है जिसमें ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क भी शामिल है। इन्होंने बताया कि इसके रीवेल्यूएशन की प्रक्रिया भी काफी जटिल रहती है। टीम करीब एक सप्ताह तक पार्क क्षेत्र का दौरा करके अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी और इसे भारतीय वन्य जीव संस्थान को सौंपा जाएगा।
इस बैठक के दौरान पार्क क्षेत्र में बढ़ते पर्यटन, ठोस कचरा प्रबंधन, पौधारोपण, शिक्षण प्रशिक्षण और पार्क के संरक्षण एवं संवर्धन में स्थानीय समुदाय की सहभागिता आदि विषयों पर चर्चा परिचर्चा हुई। बैठक में लोगों ने विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क की जैविक विविधता पर मंडरा रहे कुछ खतरों से भी आगाह करवाया है। पार्क क्षेत्र में बढ़ता भूमि कटाव, प्रदूषण, जंगल की आग, अवैध शिकार, अवैध डंपिंग और जड़ी बूटियों का दोहन तथा गैर जिमेदारना पर्यटन से इस धरोहर के लिए खतरा पैदा हो गया है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि समय रहते हुए इन खतरों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के एसीएफ हंस राज ठाकुर ने बताया कि तीर्थन वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी के लिए मैनेजमेंट प्लान तैयार किया जा रहा है जिसके तहत ईको जॉन में स्थित ग्राम पंचायतों के हर वार्ड में अनेकों कार्य किए जाएंगे। इसके साथ ही पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय हितधारकों को बर्डवाचिंग और हाउसकीपिंग की एडवांस लेवल ट्रेनिंग करवाई जाएगी। इन्होंने कहा कि इस धरोहर विरासत को संजोए रखना यहां के सभी लोगों की जिमेबारी बनती है।