22 वर्षों बाद देश की सबसे लंबी 32 किलोमीटर टनल बनकर तैयार


Deprecated: Creation of dynamic property Sassy_Social_Share_Public::$logo_color is deprecated in /home2/tufanj3b/public_html/wp-content/plugins/sassy-social-share/public/class-sassy-social-share-public.php on line 477
Spread the love

आपस में दोनों छोर मिलने के वाद एनएचपीसी के अधिकारियों ने ली राहत की सांस

तूफान मेल न्यूज,शिलागढ़(कुल्लू)। आखिर 22 वर्षों बाद पार्वती परियोजना की सबसे लंबी 32 किलोमीटर की हेड रेस टनल बनकर तैयार हो गई है। आज बरशेनी से निकली यह टनल दूसरी तरफ पहाड़ियों को खोदकर सैंज के रैला में निकली है। सोमवार को परियोजना के ईडी निर्मल सिंह ने 32 किलोमीटर टनल का निरक्षण किया और शिलागढ़ एडिट वन में धाम का भी आयोजन किया। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कुल्लू जिला की पहाड़ियों में एक और मील का पत्थर स्थापित हुआ है।

भले ही इस लक्ष्य को भेदने में एनएचपीसी को 22 वर्ष का लंबा समय लगा है लेकिन शिलागढ़ की बर्फीली पहाड़ियों को खोदकर एनएचपीसी ने ऊर्जा के क्षेत्र में कई रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए हैं। पार्वती जल विद्युत परियोजना चरण दो की 32 किमी लंबी हेडरेस टनल की विदेशी मशीन टीबीएम से सफलतापूर्वक खुदाई कर एनएचपीसी ने बड़ी कामयाबी हासिल की है और टीवीएम मशीन के कुछ हिस्से को खोलकर वाहर निकालने का कार्य पूरा हो गया है, जबकि टीबीएम के आगे वाले 18 मीटर हिस्से को टनल के अंदर दबाने पर एनएचपीसी विचार कर रही है । बता दें कि हेडरेस टनल की 32 किलोमीटर लंबाई में से टीबीएम ने 7.5 किलोमीटर टनल को खोदकर 22 वर्षों बाद तैयार किया है। परियोजना प्रबंधन का दावा है कि टीबीएम से सबसे लंबी टनल की खुदाई का यह विश्व कीर्तिमान स्थापित हुआ है। 22 वर्ष बाद अब विदेशी मशीन को टनल से बाहर निकालने का कार्य शुरू हो गया है । बता दें कि हिमालय पर्वत श्रृंखला में शिलागढ़ की बर्फीली पहाड़ियों में ऊर्जा की नवरत्न कंपनी एनएचपीसी को देश में पहली कामयाबी हासिल हुई है। पहाड़ों को भेदने वाली विदेशी मशीन टीबीएम ने 32 किलोमीटर लंबी खुदाई कर जहां विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है। वहीं अब दो दशकों बाद विदेशी मशीन को भूगर्भ से बाहर निकालने में सफलता मिली है। एनएचपीसी के कार्यपालक निदेशक कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक दो सौ करोड़ की लागत वाली यह दुनिया की अत्याधुनिक मशीन है। पार्वती प्रोजेक्ट में इस मशीन का उपयोग एनएचपीसी ने पहली बार किया है। जहां कठोर चट्टानी क्षेत्र है वहां यह मशीन महीने में 800 से 900 मीटर तक पहाड़ काट लेती है और पहाड़ी के एक छोर से सुरंग काटते हुए आगे बढ़ती है और दूसरे छोर से बाहर निकलती है। जबकि इस बीच टीबीएम मशीन को बैक नहीं किया जा सकता है। मशीन द्वारा काटी गई सुरंग चट्टानी क्षेत्र को साथ-साथ सिग्मेंट मोल्ड किया जाता है। यहां उल्लेखनीय यह है कि पार्वती प्रोजेक्ट में विदेशी मशीन को एशिया की सबसे लंबी 32 किलोमीटर हाइड्रो टनल की खुदाई के लिए सात समंदर पार ऑस्ट्रिया से वर्ष 2000 में कुल्लू की पहाड़ियों में लाया गया था । किंतु वर्ष 2006 में शिलागढ़ की पहाड़ियों में लाल पानी आने के चलते उक्त मशीन दस वर्षों तक भूगर्भ के बीच फंसी रही। उधर एनएचपीसी के कार्यपालक निदेशक निर्मल सिंह ने इस सफलता के लिए एनएचपीसी में तैनात कर्मचारीयों, अधिकारियों व मजदूरों को इस कामयाबी के लिए बधाई दी है। कार्यपालक निदेशक निर्मल सिंह ने कहा कि प्रोजेक्ट के इंजीनियरों, मजदूर वर्ग, दैवीय कृपा के अलावा आम जनता का सहयोग मिला है जिस कारण सफलतापूर्वक अब निर्माण कार्य संपन्न हुआ है। बहरहाल 22 वर्षों वाद एनएचपीसी का सपना साकार हुआ है। अगले वर्ष यहां विधूत उत्पादन शुरू होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!