प्रदेश में क्रशर बंद करवाने पर क्रशर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय राणा ने उठाए सवाल


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तूफान मेल न्यूज,कुल्लू।
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता एवं क्रशर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय राणा ने कहा हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपने 26 अगस्त के आदेश मे प्रदेश के स्टोन क्रेशर बंद करने का फरमान सुनाया है। इन आदेश से तो यह भनक लग रही है जैसे आपदा के कारण ये ही हों। ये जितने भी क्रेशर लगे हैं ये सब उच्च न्यायालय, ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा पारित मानकों को सफलतापूर्वक निर्वाहन कर उनकी देखरेख मे गठित कमेटियों के निरीक्षण से समय-समय पर गुजरते हैं। अतः कोई भी नियमों का उल्लंघन नहीं करते। इस के अलावा सरकार की समय-समय पर दी गई सूचनाओं को भी पूरा करते हैं। ये सब सरकार के द्वारा चयनित सब टैक्सों की अदायगी करते हैं। ये क्रेशर रोड से निकले वेस्ट/ मक्क आदि का प्रयोग करते हैं। 2003 के बाद एक पत्थर तक इन क्रेशर ने ब्यास से नहीं उठाया है। ये सब केवल व्यास के वेसिन से हैं।
अब स्वाल यह है कि सरकार को क्या रिपोर्ट इन के बारे में हुई? किसने दी? क्या यह त्रासदी इन क्रेशर के कारण हुई? हुई तो कैसे? क्या इस में कोई न्यायिक कमीश्न की रिपोर्ट है? किसी पर्यावरण विद की है? लब्बोलुआब यह है कि इस सब का आधार क्या है?
प्रत्येक क्रेशर पर सीधे तौर से 20-25 परिवार पल रहे हैं जब कि अपरोक्ष रूप से पल रहे परिवारों की यह संख्या कई गुणा बड़ जाती है। अब प्रश्न यह है कि अपना काम सही से करना एक ही क्षेत्र व प्रदेश में अवहेलना कैसे हो गया? एक प्रदेश में दो नियम तो नहीं हो सकते हैं न? सरकार पर्यावरण पर कोई नीतिगत फैसला ले पर वह सार्वजनिक रूप से न्याय पर आधारित हो व आधारभूत तर्कों से गठित पर्यावरण को बचाने मे सहायक हो। अजय राणा ने कहा इस निर्णय से तो यह लग रहा है कि जैसे सौतन ने जल-भून कर फरमान सुनाया हो। इतने रास्ते, सडकें व भवन जो बह गये/गिर गये कि रिपेयर होनी है व बनना है तो ऐसे में वैज्ञानिकता को अधिमान दे कर सरकार इन सब को ओपन करने का आदेश जारी करे। इन पर विस्तृत रिपोर्ट ले। चंडूखाने की खबरों को इन्हे बंद करने का आधार न बनाये।प्रदेश के विकास की गाथा की ये क्रेशर रीड की हड्डी हैं। फिर सरकार के पास इतना अमला थैला है जिस से इन की कारगुजारी पर रिपोर्ट भी तो सरकार के पास है। यह सौतेला व्यवहार सरकार करना बंद करे।
उन्होंने कहा इस सब में सरकार की मंशा संदेहास्पद है। उसका यह आदेश द्वेषपूर्ण व कोई स्कोर सैटल करने की मंशा से दिया गया लगता है।मै सरकार से निवेदन करूंगा कि सरकार इस पर दोबारा विचार करे।

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