समलेटा में पापी कंस के वध के साथ श्रीमद भागवत कथा संपन्न


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कथा यज्ञ के अंतिम दिन हवन यज्ञ के साथ अटूट भंडारे का आयोजन
तूफान मेल न्यूज ,बिलासपुर।

गोविंद सागर झील के उस पार समलेटा गांव में चल रही श्रीमद भागवत कथा का वीरवार को समापन हो गया। इससे पूर्व हवन यज्ञ का आयोजन किया। जिसमें आयोजकों के साथ-साथ ग्रामीणों ने भी बढ़चढ़ कर भाग लिया। पूर्णाहुति के बाद कथा प्रवचन हुए और फिर अटूट भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमें आसपास के सैंकड़ों ग्रामीणों ने भाग लेकर प्रसाद ग्रहण किया। कथा के अंतिम दिन प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए पंडित भास्करानंद शर्मा ने कंस वध की कथा
सुनाई। उन्होंने कहा कि अंधेरी आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्मलिया। द्वापर युग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज्य करता था। उसके आततायी पुत्र कंस ने उसे गद्दी से उतार दिया और स्वयं मथुरा का राजा बन बैठा। कंस की एक बहन देवकी थी, जिसका विवाह वसुदेव नामक यदुवंशी सरदार
से हुआ था। एक समय कंस अपनी बहन देवकी को उसकी ससुराल पहुंचाने जा रहा

था। रास्ते में आकाशवाणी हुई. हे कंस, जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से ले जा रहा है,उसी के गर्भ में तेरा काल जन्म लेगा। इसी के गर्भ से उत्पन्न आठवां बालक तेरा वध करेगा। यह सुनकर कंस वसुदेव को मारने के लिए उद्धेलित हुआ। तब देवकी ने उससे विनयपूर्वक कहा मेरे गर्भ से जो संतान होगी, उसे मैं तुम्हारे सामने ला दूंगी। बहनोई को मारने से क्या लाभ है। कंस ने देवकी की बात मान ली और मथुरा वापस चला आया। उसने वसुदेव और देवकी को
कारागृह में डाल दिया। वसुदेव.देवकी के एक.एक करके सात बच्चे हुए और सातों को जन्म लेते ही कंस ने मार डाला। अब आठवां बच्चा होने वाला था। कारागार में उन पर कड़े पहरे बैठा दिए गए। उसी समय नंद की पत्नी यशोदा को
भी बच्चा होने वाला था। उन्होंने वसुदेव.देवकी के दुखी जीवन को देख आठवें बच्चे की रक्षा का उपाय रचा। जिस समय वसुदेव.देवकी को पुत्र पैदा हुआ, उसी समय संयोग से यशोदा के गर्भ से एक कन्या का जन्म हुआ जो और कुछ नहीं
सिर्फ माया थी। जब कंस को सूचना मिली कि वसुदेव.देवकी को बच्चा पैदा हुआ
है।

उसने बंदीगृह में जाकर देवकी के हाथ से नवजात कन्या को छीनकर पृथ्वी
पर पटक देना चाहा, परंतु वह कन्या आकाश में उड़ गई और वहां से कहा. अरे मूर्ख, मुझे मारने से क्या होगा। तुझे मारने वाला तो वृंदावन में जा पहुंचा है। वह जल्द ही तुझे तेरे पापों का दंड देगा। आयोजक दुर्गा राम शर्मा ने कथा वाचक सहित सभी स्वजनों का धन्यवाद किया।

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