रामायण जीवन जीने की कला को सीखाती है:भास्करानंद शर्मा


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तूफान मेल न्यूज ,बिलासपुर।
नगर के श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में चल रही श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए कथावाचक भास्करानंद शर्मा ने रामायण पर विवेचन किया। उन्होंने कहा कि रामायण जीवन जीने की कला को सीखाती है जबकि श्रीमद भागवत मोक्ष का मार्ग बताती है। उन्होंने कहा कि प्रभु राम ने बाल्यकाल से लेकर कालातंर परिवर्तन तक लोगों को जीने की राह दिखाई वहीं इसी काल में महापंडित रावण की भक्ति को भी अद्वितीय बताया। इस दौरान पंडित भास्करानंद ने एक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान षंकर समस्त सृश्टि में ऐसे देव हैं जो किंचित भक्ति से भी प्रसन्न हो जाते हैं।

इसदौरान उन्होंने रामायण के एक सुंदर प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि जब लंकाधिपति रावण अपने पुश्पक विमान से देवदानव युद्ध को विजयी कर लंका लौट रहे होते हैं तो उनके आकाष मार्ग में पुश्पक विमान कैलाष पर्वत को नहीं
लांघ पाता है रूक जाता है। ऐसे में रावण अपने सेनापति मारीच से विचार विमर्ष कर विमान के रूक जाने के कारणों को पता लगाने की चेश्टा करता है। ऐसे में अभिमानी रावण की बातों को सुनकर भगवान षंकर अपने अनुचर नंदी को
रावण को समझाने के लिए भेजते हैं। लेकिन मिथ्या बल के अभिमानी रावण नंदी की किसी बात पर अमल न करते हुए अपने मार्ग से कैलाष पर्वत को ही हटाने की कुचेश्टा में लग जाते है। और भारी प्रयतन्नों के बाद भी जब असफल होते
है।ं तो रावण का अभिमान टूट जाता है और वह भगवान षंकर को मनाने के लिए उनकी अराधना करते हैं। पंडित सुरेष भारद्वाज ने बताया कि भगवान निसंदेह भोले हैं और रावण की धृश्टता को भूल कर उसे चंद्रहास खड़क वरदान स्वरूप
देते हैं। उन्होंने बताया कि भगवान को यदि सच्चे मन से याद किया जाए तो उसका कई गुणा अधिक फल प्राणी को मिलता है। वहीं आयोजक वैभव शर्मा ने बताया कि यह आयोजन उनके स्वर्गीय पिता अधिवक्ता अमरनाथ शर्मा की स्मृति
में करवाया जा रहा है तथा हर दिन दोपहर एक से चार बजे तक कथा होती है। उन्होंने नगरवासियों से कथा श्रवण का निमंत्रण भी दिया है।

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