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सम्मानित होने बाली विभूतियों को नहीं मिलती बैठने तक की जगह
तूफान मेल न्यूज ,कुल्लू। कुल्लू में जिला स्तरीय महिला दिवस के आयोजन पर वेशक खर्चा हाईप्रोफाइल हो रहा हो लेकिन मैनेजमेंट सिफर है। महिला दिवस पर दिए जाने बाले अवार्ड का महत्व बहुत आंका जाता है लेकिन अवार्ड के नाम पर महिलाओं के साथ छलावा हो रहा है। जिससे इस कार्यक्रम में मिलने बाले सम्मान की गरिमा पर बट्टा लगता नजर आ रहा है। अवार्ड तो दर्जनों घोषित किए जा रहे हैं लेकिन अव्यवस्था का आलम यह है कि सम्मानित होने बाली विभूतियों समारोह स्थल पर बैठने तक की व्यवस्था नहीं होती है। लिहाजा इस सम्मान को विभाग ने बंदर बांट कर दिया है। हालांकि यह अव्यव्वस्था पिछले दो वर्षों से चलती आई बताई जा रही है। जिला स्तर पर दिए जाने बाले इस महिला सम्मान समारोह की गरिमा बनी रहे इसी उदेश्य को लेकर समाज से जुड़ी अधिकतर महिलाओं ने इस पर प्रश्न उठाने शुरू कर दिए हैं। बताया जा रहा है कि पहले इस समारोह की गरिमा वेहद शानदार थी। लेकिन अब पूरी तरह से बिगड़ चुकी है। सम्मानित होने की परंपरा यह रही है कि सम्मानित होने बाली विभूतियों का स्वागत किया जाता है और उनको बैठने की उचित व्यवस्था होती है। यानिकि आवार्डी की बैठने की रो अलग से होती है और उन महिलाओं को बाकायदा उनको सम्मान के साथ उनका बायोडाटा पढ़कर सम्मान होने के लिए बुलाया जाता है। लेकिन यहां तो ऐसा चला है कि आवार्डी महिलाओं को न तो बैठने का स्थान मिल रहा है और न ही सम्माजनक सम्मान मिल रहा है। महिलाओं को मंच पर बुलाया जाता है तो सिर्फ नाम पुकार कर। न तो उनका डिजिग्नेशन और न ही कार्यक्षेत्र एनाउंस किया जा रहा है। उदारण के तौर पर एनाउंस होता है कि अगला अवार्ड रूपा देवी (काल्पनिक नाम) को मिल रहा है,वोह अपना अवार्ड लेने मंच पर आएं। लेकिन सेंकडों महिलाओं के बीच रूपा देवी कितनी हो सकती है उसमें कन्फ्यूज है। रूपा मंच पर जाने से पहले 10 बार सोच रही है कि क्या मुझे ही मंच पर बुलाया या किसी और रूपा को। रूपा को को किस फील्ड में और किस सराहनीय कार्य के लिए सम्मान मिल रहा है उसकी घोषणा तक नहीं हो रही है। यही नहीं सम्मान के रूप में न तो कोई सम्मानित राशि मिल रही है और न ही सम्मान का कोई सम्मान जनक उपहार। सम्मान के नाम पर दिया जा रहा है तो सिर्फ एक छोटा मोमेंटो और एक प्रमाणपत्र।
जबकि सम्मान देने के सभी मापदंडों को धत्ता बताया जा रहा है। अब वुद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि सम्मान की प्रक्रिया सम्मानजनक होनी चाहिए।
जिला स्तर पर यह कैसा सम्मान
समान्नित होने बाली महिलाओं को न तो सभागार में बैठने का कोई उचित स्थान मिल रहा है न ही उन्हें चायपानी को पूछा जाता है। यही नहीं सम्मानित होने बाली महिलाओं को भीड़ में खड़े होकर अपने सम्मान लेने के लिए इंतजार करना पड़ता है।